शनिवार, 17 जनवरी 2015

केसर (saffron)

एक सुगंध देनेवाला पौधा है। इसके पुष्प की शुष्क
कुक्षियों (stigma) को केसर, कुंकुम, जाफरान
अथवा सैफ्रन (saffron) कहते हैं। यह इरिडेसी (Iridaceae)
कुल की क्रोकस सैटाइवस (Crocus sativus) नामक क्षुद्र
वनस्पति है जिसका मूल स्थान दक्षिण यूरोप है,
यद्यपि इसकी खेती स्पेन, इटली, ग्रीस, तुर्किस्तान,
ईरान, चीन तथा भारत में होती है। भारत में यह केवल
जम्मू (किस्तवार) तथा कश्मीर (पामपुर) के सीमित
क्षेत्रों में पैदा होती हैं। प्याज तुल्य
इसकी गुटिकाएँ (bulb) प्रति वर्ष अगस्त-सितंबर में
रोपी जाती हैं और अक्टूबर-दिसंबर तक इसके पत्र
तथा पुष्प साथ निकलते हैं।
खाने मे स्वाद को तो बढ़ाता ही बल्कि कई प्रकार के
रोगो को दूर करने मे सहायक होता है
-चन्दन को केसर के साथ घिसकर इसका लेप माथे पर लगाने
से, सिर, नेत्र और मस्तिष्क को शीतलता, शान्ति और
ऊर्जा मिलती है, नाक से रक्त गिरना बन्द हो जाता है
और सिर दर्द दूर होता है।
-शिशु को सर्दी हो तो केसर की 1-2 पखड़ी 2-4 बूंद दूध
के साथ अच्छी तरह घोंटें, ताकि केसर दूध में घुल-मिल
जाए। इसे एक चम्मच दूध में मिलाकर सुबह-शाम पिलाएँ।
-माथे, नाक, छाती व पीठ पर लगाने के लिए केसर जायफल व
लौंग का लेप (पानी में) बनाएँ और रात को सोते समय लेप
करें।
-कृमि नष्ट करने के लिए केसर व कपूर आधी-
आधी रत्ती खरल में डालकर 2-4 बूंद दूध टपकाकर घोंटें
और एक चम्मच दूध में मिलाकर बच्चे को 2-3 दिन तक
पिलाएं।
- बच्चों को बार-बार पतले दस्त लगने को अतिसार
होना कहते हैं। बच्चों को पतले दस्त लगने पर केसर
की 1-2 पँखुड़ी खरल में डालकर 2-3 बूंद पानी टपकाकर
घोंटें।
-अलग पत्थर पर पानी के साथ जायफल, आम की गुठली, सौंठ
और बच बराबर बार घिसें और इस लेप को केसर में
मिला लें। इसे एक चम्मच पानी में मिलाकर शिशु
को पिला दें। यह सुबह शाम दें।
- जाड़े के दिनों में दूध में केसर या एक चम्मच
हल्दी का सेवन करने से भी रक्त साफ होता है।

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