थाइरॉइड हमारे शरीर की कार्यपद्धति मे बहुत महत्वपूर्ण
भूमिका निभाता है। शरीर में होने वाली मेटाबॉलिज्म
क्रियाओं में थाइरॉइड ग्रंथि से निकलने वाले थाइरॉक्सिन
हार्मोन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मेटाबालिज्म
क्रियाओं से ये निर्धारित होता है कि शरीर में
बनी ऊर्जा को कब स्टोर किया जाए और कब व कितना यूज
किया जाए। इसीलिए शरीर में उपस्थित थाइरॉइड ग्लैंड में
किसी भी तरह की अनियमितता होने पर पूरे शरीर
की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। इस ग्र्रंथि में
अनियमितता होने पर सामान्यत: हाइपोथाइरॉइडिज्म,
हाइपरथाइरॉइडिज्म, गठान होन या कैंसर होने जैसी समस्याएं
होती है। अगर आपके साथ भी थाइरॉइड
की ग्रंथि की अनियमितता से जुड़ी कोई समस्या हो तो नीचे
लिखे प्राकृतिक उपायों को अपनाएं।
G1-थाइरॉइड में अनियमितता के लक्षण-
हार्मोनल बदलाव- महिलाओं को पीरियड्स के दौरान
थाइरॉइड की स्थिति में पेट में दर्द अधिक रहता है
वहीं हाइपरथाइरॉइड में अनियमित पीरियड्स रहते हैं। थाइरॉइड
की स्थिति में गर्भ धारण करने में भी दिक्कत हो सकती है।
G2-मोटापा- हाइपोथाइरॉइड की स्थिति में अक्सर तेजी से
वजन बढ़ता है। इतना ही नहीं शरीर में कॉलेस्ट्रॉल का स्तर
भी बढ़ जाता है। वहीं हाइपरथाइरॉइड में कॉलेस्ट्रॉल बहुत कम
हो जाता है।
G3-थकान, अवसाद या घबराहट- अगर बिना अधिक मेहनत करने
के बाद भी आप थकान महसूस करते हैं या छोटी-
छोटी बातों पर घबराहट होती है तो इसकी वजह थाइरॉइड
हो सकती है।
G4-मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द- हाइपोथाइरॉडड
यानी शरीर में टीएसएच अधिक और टी3,टी4 कम होने पर
मांसपेशियों में जोड़ों में अक्सर दर्द रहता है।
G5-गर्दन में सूजन- थाइरॉइड बढऩे पर गर्दन में सूजन
की संभावना बढ़ जाती है। गर्दन में सूजन या भारीपन
का एहसास हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
G6-बालों और त्वचा की समस्या- खासतौर पर
हाइपोथाइरॉइड की स्थिति में त्वचा में रूखापन,
बालों का झडऩा, भौंहों के बालों का झडऩा जैसी समस्याएं
होती हैं जबकि हाइपरथाइरॉइड में बालों का तेजी से
झडऩा और संवेदनशील त्वचा जैले लक्षण दिखते हैं।
G7-पेट खराब होना- लंबे समय तक कान्सटिपेशन
की समस्या हाइपोथाइरॉइड में होती है
जबकि हाइपरथाइरॉइड में डायरिया की दिक्कत बार-बार
होती है।
G8-अश्वगंधा- अश्वगंधा सबसे चमत्कारी दवा के रू प में कार्य
करता है। अश्वगंधा का सेवन करने से थाइरॉइड
की अनियमितता पर नियंत्रण होता है। साथ ही कैंसर होने
का खतरा बढ़ जाता है। अश्वगंधा के नियमित सेवन से शरीर में
भरपूर ऊर्जा बनी रहती है साथ ही कार्यक्षमता में
भी वृद्धि होती है।
G8+समुद्री घास- समुद्री घास को भी थाइरॉइड
ग्रंथि को नियमित बनाने केेे लिए एक रामबाण दवा की तरह
काम करती है। समुद्री घास के सेवन से शरीर को मिनरल्स व
आयोडिन मिलता है। इसीलिए समुद्री घास का सेेवन इस
बीमारी मेें लाभदायक है। इसकेेे अलावा इससे मिलने वाले
एंटीऑक्सीडें्स स्किन को जवान बनाएं रखते हैं।
G9-नींबूं की पत्तियां- नींबू की पत्तियों का सेवन थाइरॉइड
को नियमित करता हैं। दरअसल मुख्य रूप से इसका सेवन
थाइरॉक्सिन के अत्याधिक मात्रा में बनने पर रोक लगाता है।
इसकी पत्तियों की चाय बनाकर पीना भी इस बीमारी में
रामबाण औषधि का काम करती है।
G10-ग्रीन ओट्स- थाइरॉइड में ग्रीन ओट्स एक नेचुरल
औषधि की तरह कार्य करता है। ये शरीर में
हो रही थाइरॉक्सिन की अधिकता व उसके कारण
हो रही समस्याओं को मिटाता है।
भूमिका निभाता है। शरीर में होने वाली मेटाबॉलिज्म
क्रियाओं में थाइरॉइड ग्रंथि से निकलने वाले थाइरॉक्सिन
हार्मोन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मेटाबालिज्म
क्रियाओं से ये निर्धारित होता है कि शरीर में
बनी ऊर्जा को कब स्टोर किया जाए और कब व कितना यूज
किया जाए। इसीलिए शरीर में उपस्थित थाइरॉइड ग्लैंड में
किसी भी तरह की अनियमितता होने पर पूरे शरीर
की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। इस ग्र्रंथि में
अनियमितता होने पर सामान्यत: हाइपोथाइरॉइडिज्म,
हाइपरथाइरॉइडिज्म, गठान होन या कैंसर होने जैसी समस्याएं
होती है। अगर आपके साथ भी थाइरॉइड
की ग्रंथि की अनियमितता से जुड़ी कोई समस्या हो तो नीचे
लिखे प्राकृतिक उपायों को अपनाएं।
G1-थाइरॉइड में अनियमितता के लक्षण-
हार्मोनल बदलाव- महिलाओं को पीरियड्स के दौरान
थाइरॉइड की स्थिति में पेट में दर्द अधिक रहता है
वहीं हाइपरथाइरॉइड में अनियमित पीरियड्स रहते हैं। थाइरॉइड
की स्थिति में गर्भ धारण करने में भी दिक्कत हो सकती है।
G2-मोटापा- हाइपोथाइरॉइड की स्थिति में अक्सर तेजी से
वजन बढ़ता है। इतना ही नहीं शरीर में कॉलेस्ट्रॉल का स्तर
भी बढ़ जाता है। वहीं हाइपरथाइरॉइड में कॉलेस्ट्रॉल बहुत कम
हो जाता है।
G3-थकान, अवसाद या घबराहट- अगर बिना अधिक मेहनत करने
के बाद भी आप थकान महसूस करते हैं या छोटी-
छोटी बातों पर घबराहट होती है तो इसकी वजह थाइरॉइड
हो सकती है।
G4-मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द- हाइपोथाइरॉडड
यानी शरीर में टीएसएच अधिक और टी3,टी4 कम होने पर
मांसपेशियों में जोड़ों में अक्सर दर्द रहता है।
G5-गर्दन में सूजन- थाइरॉइड बढऩे पर गर्दन में सूजन
की संभावना बढ़ जाती है। गर्दन में सूजन या भारीपन
का एहसास हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
G6-बालों और त्वचा की समस्या- खासतौर पर
हाइपोथाइरॉइड की स्थिति में त्वचा में रूखापन,
बालों का झडऩा, भौंहों के बालों का झडऩा जैसी समस्याएं
होती हैं जबकि हाइपरथाइरॉइड में बालों का तेजी से
झडऩा और संवेदनशील त्वचा जैले लक्षण दिखते हैं।
G7-पेट खराब होना- लंबे समय तक कान्सटिपेशन
की समस्या हाइपोथाइरॉइड में होती है
जबकि हाइपरथाइरॉइड में डायरिया की दिक्कत बार-बार
होती है।
G8-अश्वगंधा- अश्वगंधा सबसे चमत्कारी दवा के रू प में कार्य
करता है। अश्वगंधा का सेवन करने से थाइरॉइड
की अनियमितता पर नियंत्रण होता है। साथ ही कैंसर होने
का खतरा बढ़ जाता है। अश्वगंधा के नियमित सेवन से शरीर में
भरपूर ऊर्जा बनी रहती है साथ ही कार्यक्षमता में
भी वृद्धि होती है।
G8+समुद्री घास- समुद्री घास को भी थाइरॉइड
ग्रंथि को नियमित बनाने केेे लिए एक रामबाण दवा की तरह
काम करती है। समुद्री घास के सेवन से शरीर को मिनरल्स व
आयोडिन मिलता है। इसीलिए समुद्री घास का सेेवन इस
बीमारी मेें लाभदायक है। इसकेेे अलावा इससे मिलने वाले
एंटीऑक्सीडें्स स्किन को जवान बनाएं रखते हैं।
G9-नींबूं की पत्तियां- नींबू की पत्तियों का सेवन थाइरॉइड
को नियमित करता हैं। दरअसल मुख्य रूप से इसका सेवन
थाइरॉक्सिन के अत्याधिक मात्रा में बनने पर रोक लगाता है।
इसकी पत्तियों की चाय बनाकर पीना भी इस बीमारी में
रामबाण औषधि का काम करती है।
G10-ग्रीन ओट्स- थाइरॉइड में ग्रीन ओट्स एक नेचुरल
औषधि की तरह कार्य करता है। ये शरीर में
हो रही थाइरॉक्सिन की अधिकता व उसके कारण
हो रही समस्याओं को मिटाता है।
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