शनिवार, 24 जनवरी 2015

ज्यूस थेरेपी: करें इन बड़ी बीमारियों का टेस्टी-टेस्टी इलाज ठंडक के साथ


आयुर्वेद के अनुसार ज्यूस पीकर भी कई बीमारियों को दूर
भगाया जा सकता है।
इसीलिए आयुर्वेद में ज्यूस को बहुत महत्व दिया गया है।
प्राकृतिक चिकित्सा में भी रसाहार को विशेष स्थान प्राप्त
है। इसमें अलग-अलग फलों और सब्जियों का रस दिया जाता है।
करेला जामुन या लौकी के ज्यूस में स्वाद नहीं होता है लेकिन
इनका ज्यूस पीने के बहुत फायदे हैं।
आइए जानते हैं ज्यूस थेरेपी के कुछ स्पेशल राज जिनसे कर सकते हैं
आप इन बीमारियों का इलाज....
खून की कमी- पालक के पत्तों का रस, मौसम्मी, अंगूर, सेब,
टमाटर और गाजर का रस लिया जा सकता है।
भूख की कमी- नींबू, टमाटर का रस लें।
फ्लू और बुखार- मौसम्मी, गाजर, संतरे का रस लेना चाहिए।
एसीडिटी- मौसम्मी, संतरा, नींबू, अनानास का रस लें।
कृमि रोगों में- लहसुन और मूली का रस पेट के कीड़ों को मार
देता हैं।
मुहांसों में- गाजर, तरबूज, और प्याज का रस लें।
पीलिया- गन्ने का रस, मौसम्मी और अंगूर का रस दिन में कई
बार लेना चाहिए।
पथरी- खीरे का रस लें।
मधुमेह- इस रोग में गाजर, करेला, जामुन, टमाटर, पत्तागोभी एवं
पालक का रस लिया जा सकता है।
अल्सर में- गाजर, अंगूर का रस ले सकते हैं। कच्चे नारियल
का पानी भी अल्सर ठीक करता है।
मासिकधर्म की पीड़ा में- अनानास का रस लें।
बदहजमी -अपच में नींबू का रस, अनानास का रस लें, आराम
मिलेगा।
हाइब्लडप्रेशर- गाजर, संतरा, मौसम्मी का रस लें।
लो-ब्लडप्रेशर- अंगूर और सभी मीठे फलों का रस
लिया जा सकता है।

कोई टिप्पणी नहीं: