- मकर संक्रांति के पुण्य अवसर पर उड़द की खिचडी और तिल के
लड्डू खाने का चलन हिन्दुस्तान में सदियों- सदियों से चला आ
रहा है.
- तिल के तेल का चलन भी है जो हम सिर में लगाते हैं
जो विद्यार्थियों के लिए अति उत्तम माना गया है .
- विशेषतः काले तिल में कार्बोहाईड्रेट ,प्रोटीन और
कैल्शियम की प्रचुर मात्रा होती है .इसीलिए ये शरीर के लिए
अमृत है.
- काले तिल को अगर आप २५ से ३० ग्राम रोज चबाकर खायेंगे
तो दाँत आपके बेहद मजबूत हो जायेंगे. अगर दाँत में कीड़े लग रहे
हों तो तिल को पानी में ४ घंटे भिगा दीजिये फिर छान कर
उसी पानी से मुंह को भरिये और १० मिनट रुके रहिये .फिर
पानी उगल दीजिये, चार पांच बार इसी तरह कुल्ला कीजिये,
घाव, पायरिया सभी परेशानिया ख़त्म.
- अगर पेट निकल रहा हो तो सुबह शाम एक चम्मच भर के तिल
का तेल पी जाएं .
- लड़कियों और महिलाओं को तो प्रतिदिन कम से कम १०
ग्राम तिल चबा चबा कर खाना चाहिए ,इससे उन्हें मासिक
चक्र के समय होने वाले दुःख दर्द और अनियमितता से
तो मुक्ति मिलेगी ही उनका गर्भाशय भी मजबूत और
बीमारी रहित हो जाएगा .
- तिल का तेल प्रतिदिन सिर में लगाने से मेधा शक्ति बढ़ती है
और बाल भी सुन्दर बने रहते हैं. अपने इसी गुण के कारण तिल
का तेल विद्यार्थियों के लिए अति पौष्टिक और उत्तम
माना गया है.
- अक्सर महिलायेंल्यूकोरिया से त्रस्त रहती हैं और
किसी को बताती भी नहीं , उनका स्वास्थ्य भी इसकी वजह
से गिरता चला जाता है.उन्हें रुई को तिल के तेल में भिगा कर
अपने जननांगो में रखना चाहिए ताकि वे इस बीमारी से मुक्त
हो जाएं.
- तिल के लड्डू सुबह ,दोपहर , को खाइए और बवासीर से
पीछा छुडाइये. या तिल को पीस कर चटनी बनाएं और मक्खन
मिला कर खा जाएं .
- तिल का काढा बनाइये, शक्कर मिला कर पीजिये.
सारा कफ ख़त्म हो जाएगा.कम से कम ४ बार.
- मोच में तिल और महुए को एक साथ पीसिये और जहां मोच आई
हो वहाँ बाँध दीजिये . फिर देखिये जादुई असर.
- अगर आप बूढ़े नहीं होना (दिखना) चाहते तो प्रतिदिन शरीर
में तिल के तेल की मालिश कीजिए ,न स्किन सिकुड़ेगी न
झुर्रियां पड़ेंगी.
- अगर किसी वजह से या ठंड से गर्भाशय में पीड़ा हो रही है
तो तिल को पीस कर उसमें थोड़ा तिल का तेल मिलाइए और
गर्म कीजिए फिर नाभि के नीचे लेप कर दीजिये. जो दर्द
तमाम पेनकिलर से नहीं गया वह चुटकी बजाते ही गायब
हो जाएगा. अगर बच्चेदानी में खून जम
गया हो तो आधा आधा चम्मच तिल का पावडर दिन में चार
बार खिलाएं . गर्भ और गर्भिणी दोनों को आराम महसूस
होगा और खून बिखर जाएगा.
लड्डू खाने का चलन हिन्दुस्तान में सदियों- सदियों से चला आ
रहा है.
- तिल के तेल का चलन भी है जो हम सिर में लगाते हैं
जो विद्यार्थियों के लिए अति उत्तम माना गया है .
- विशेषतः काले तिल में कार्बोहाईड्रेट ,प्रोटीन और
कैल्शियम की प्रचुर मात्रा होती है .इसीलिए ये शरीर के लिए
अमृत है.
- काले तिल को अगर आप २५ से ३० ग्राम रोज चबाकर खायेंगे
तो दाँत आपके बेहद मजबूत हो जायेंगे. अगर दाँत में कीड़े लग रहे
हों तो तिल को पानी में ४ घंटे भिगा दीजिये फिर छान कर
उसी पानी से मुंह को भरिये और १० मिनट रुके रहिये .फिर
पानी उगल दीजिये, चार पांच बार इसी तरह कुल्ला कीजिये,
घाव, पायरिया सभी परेशानिया ख़त्म.
- अगर पेट निकल रहा हो तो सुबह शाम एक चम्मच भर के तिल
का तेल पी जाएं .
- लड़कियों और महिलाओं को तो प्रतिदिन कम से कम १०
ग्राम तिल चबा चबा कर खाना चाहिए ,इससे उन्हें मासिक
चक्र के समय होने वाले दुःख दर्द और अनियमितता से
तो मुक्ति मिलेगी ही उनका गर्भाशय भी मजबूत और
बीमारी रहित हो जाएगा .
- तिल का तेल प्रतिदिन सिर में लगाने से मेधा शक्ति बढ़ती है
और बाल भी सुन्दर बने रहते हैं. अपने इसी गुण के कारण तिल
का तेल विद्यार्थियों के लिए अति पौष्टिक और उत्तम
माना गया है.
- अक्सर महिलायेंल्यूकोरिया से त्रस्त रहती हैं और
किसी को बताती भी नहीं , उनका स्वास्थ्य भी इसकी वजह
से गिरता चला जाता है.उन्हें रुई को तिल के तेल में भिगा कर
अपने जननांगो में रखना चाहिए ताकि वे इस बीमारी से मुक्त
हो जाएं.
- तिल के लड्डू सुबह ,दोपहर , को खाइए और बवासीर से
पीछा छुडाइये. या तिल को पीस कर चटनी बनाएं और मक्खन
मिला कर खा जाएं .
- तिल का काढा बनाइये, शक्कर मिला कर पीजिये.
सारा कफ ख़त्म हो जाएगा.कम से कम ४ बार.
- मोच में तिल और महुए को एक साथ पीसिये और जहां मोच आई
हो वहाँ बाँध दीजिये . फिर देखिये जादुई असर.
- अगर आप बूढ़े नहीं होना (दिखना) चाहते तो प्रतिदिन शरीर
में तिल के तेल की मालिश कीजिए ,न स्किन सिकुड़ेगी न
झुर्रियां पड़ेंगी.
- अगर किसी वजह से या ठंड से गर्भाशय में पीड़ा हो रही है
तो तिल को पीस कर उसमें थोड़ा तिल का तेल मिलाइए और
गर्म कीजिए फिर नाभि के नीचे लेप कर दीजिये. जो दर्द
तमाम पेनकिलर से नहीं गया वह चुटकी बजाते ही गायब
हो जाएगा. अगर बच्चेदानी में खून जम
गया हो तो आधा आधा चम्मच तिल का पावडर दिन में चार
बार खिलाएं . गर्भ और गर्भिणी दोनों को आराम महसूस
होगा और खून बिखर जाएगा.
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