छुहारे का विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various
diseases)
कब्ज:
सुबह-शाम 3 छुहारे खाकर गर्म पानी पियें। छुहारे सख्त होने से
खाना सम्भव न हो तो दूध में उबालकर ले सकते हैं। छुहारे
रोजाना खाते रहने से बवासीर, स्नायुविक दुर्बलता,
तथा रक्तसंचरण ठीक होता है। सुबह के समय 2 छुहारे पानी में
भिगोकर रात को इन्हें चबा-चबाकर खाएं। भोजन कम मात्रा में
करें या रात को 2 छुहारे उबालकर भी ले सकते हैं। इससे कब्ज दूर
हो जाती है।
मोटापा:
छुहारा शरीर में खून को बनाता है। शरीर को बलवान व
मोटा बनाता है। दूध में 2 छुहारे उबालकर खाने से मांस, बल और
वीर्य बढ़ता है। बच्चे के लिए छुहारा दूध में भिगो देते हैं। जब दूध में
रखा छुहारा फूल जाता है तो इसे छानकर, पीसकर
बच्चों को पिलाना चाहिए।
पथरी, लकवा, पीठदर्द: पथरी, लकवा, पीठदर्द में छुहारा सेवन
करना लाभदायक होता है। यह मासिक-धर्म को शुरू करता है।
छुहारा अवरोधक अर्थात बाहर निकालने
वाली चीजों को रोकता है। जैसे दस्त, आंसू, लार, वीर्य और
पसीना आदि सभी को रोकता है। छुहारे में कैल्शियम अधिक
मात्रा में पाया जाता है। कैल्शियम की कमी से उत्पन्न होने
वाले रोग जैसे हडि्डयों की कमजोरी,
दांतों का गलना आदि छुहारा खाने से ठीक हो जाते हैं।
दमा या श्वास का रोग:
रोजाना 2 से 4 छुहारा मिश्री मिले हुए दूध में उबालकर
गुठली हटाकर छुहारा खाने के बाद वहीं दूध पीने से बहुत लाभ
होता है। इससे शरीर में ताकत आती है तथा बलगम निकल जाता है
जिससे श्वास रोग (दमा) में राहत मिलती है।
छुहारा गर्म होता है। यह फेफड़ों और सीने को बल देता है। कफ व
सदी में इसका सेवन लाभकारी होता है।
पान में छुहारा और सोंठ रखकर कुछ दिनों तक चूसने से श्वास रोग
(दमा) दूर हो जाता है।
अंजनहारी, गुहेरी:
छुहारे के बीज को पानी के साथ पीसकर गुहेरी पर दिन में 2 से 3
बार लेप करने से अंजनहारी में बहुत लाभ होता है।
गैस:
एक छुहारा बिना गुठली का और 30 ग्राम जयपाल खोपरा, 2
ग्राम सेंधानमक को पीसकर और छानकर 3 खुराक बना लें। 3 दिन
तक इस खुराक को 1-1 करके गर्म पानी के साथ सुबह लेने से गैस के
रोग समाप्त हो जाते हैं।
मसूढ़ों से खून आना:
2 से 4 छुहारों को गाय के दूध में उबाल लें। उबल जाने पर छुहारे
निकालकर खायें तथा बचे हुए दूध में मिश्री मिलाकर पीयें।
रोजाना सुबह-शाम इसका सेवन करने से मसूढ़ों से खून व पीव
का निकलना बंद हो जाता है।
दस्त:
छुहारे के पेड़ से प्राप्त गोंद को 3 ग्राम से लेकर 6 ग्राम
की मात्रा में सुबह और शाम चाटने से अतिसार (दस्त) में आराम
मिलता है।
हकलाना, तुतलाना:
रोजाना रात को सोते समय छुहारों को दूध में उबालकर पीयें।
इसको पीने के 2 घण्टे बाद तक पानी न पीयें। इसके
रोजाना प्रयोग से तीखी, भोंड़ी, आवाज साफ हो जाती है।
कमरदर्द:
छुहारे से गुठली निकालकर उसमें गुग्गुल भर दें। इसके बाद छुहारे
को तवे पर सेंककर दूध के साथ सेवन करें। सुबह-शाम 1-1
छुहारा खाने से कमर दर्द मिट जाता है।
सुबह-शाम 2 छुहारों को खाने से कमर दर्द में लाभ होता है।
बिना बीज वाले छुहारे को पीसकर इसके साथ पिस्ता, बादाम,
चिरौंजी और मिश्री मिलाकर, इसमें शुद्ध घी मिलाकर रख दें। 1
सप्ताह बाद इसे 20-20 ग्राम तक की मात्रा में सेवन करने से
कमजोरी दूर हो जाती है।
2-3 छुहारों को स्टील या चीनी मिट्टी के बर्तन में रात-भर
पानी में भिगोए रखने के बाद सुबह गुठली अलग कर दें और छुहारे
को दूध में पकाकर सेवन करें। इससे कमजोरी मिट जाती है।
250 ग्राम गुठलीरहित छुहारे, 250 ग्राम भुने चने, 250 ग्राम गेहूं
का आटा, 60-60 ग्राम चिलगोजा, बादाम की गिरी, 500
ग्राम गाय का घी, 500 ग्राम शक्कर और 2 लीटर गाय का दूध।
दूध में छुहारों को कोमल होने तक उबालें, फिर निकालकर बारीक
पीस लें और फिर उसी दूध में हल्की आग पर खोवा बनने तक तक
पकाएं। अब घी को आग पर गर्म करके गेहूं का आटा डालकर
गुलाबी होने तक धीमी आग में सेंक लें, इसके बाद उसमें चने का चूर्ण
और खोवा डालकर फिर धीमी आग पर गुलाबी होने तक भूने। जब
सुगंध आने लगे तो इसमें शक्कर डालकर खूब अच्छी तरह मिलाएं।
हलवा तैयार हो गया। इसमें और सारी चीजों को डालकर रखें। इसे
50-60 मिलीलीटर की मात्रा में गाय के गर्म दूध के साथ
रोजाना 1 बार सेवन करने से कमजोरी मिट जाती है।
पक्षाघात-लकवा-फालिस फेसियल परालिसिस:
दूध में भिगोकर छुहारा खाने से लकवे के रोग में लाभ प्राप्त
होता है। एक बार में 4 से अधिक छुहारे नहीं खाने चाहिए।
अग्निमान्द्यता (अपच):
छुहारे की गुठली और ऊंटकटोरे की जड़ की छाल का चूर्ण खाने से
अग्निमान्द्यता (भूख का न लगना) में आराम मिलता है।
मधुमेह के रोग:
गुठली निकालकर छुहारे के टुकड़े दिन में 8-10 बार चूसें। कम से कम
6 महीने तक इसका सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
रक्तपित्त:
2-4 छुहारों को दूध में डालकर ऊपर से मिश्री मिलाकर दूध
को उबाल दें गुठली हटाकर खाने से और दूध को पी लेने से
रक्तपित्त में लाभ होता है।
diseases)
कब्ज:
सुबह-शाम 3 छुहारे खाकर गर्म पानी पियें। छुहारे सख्त होने से
खाना सम्भव न हो तो दूध में उबालकर ले सकते हैं। छुहारे
रोजाना खाते रहने से बवासीर, स्नायुविक दुर्बलता,
तथा रक्तसंचरण ठीक होता है। सुबह के समय 2 छुहारे पानी में
भिगोकर रात को इन्हें चबा-चबाकर खाएं। भोजन कम मात्रा में
करें या रात को 2 छुहारे उबालकर भी ले सकते हैं। इससे कब्ज दूर
हो जाती है।
मोटापा:
छुहारा शरीर में खून को बनाता है। शरीर को बलवान व
मोटा बनाता है। दूध में 2 छुहारे उबालकर खाने से मांस, बल और
वीर्य बढ़ता है। बच्चे के लिए छुहारा दूध में भिगो देते हैं। जब दूध में
रखा छुहारा फूल जाता है तो इसे छानकर, पीसकर
बच्चों को पिलाना चाहिए।
पथरी, लकवा, पीठदर्द: पथरी, लकवा, पीठदर्द में छुहारा सेवन
करना लाभदायक होता है। यह मासिक-धर्म को शुरू करता है।
छुहारा अवरोधक अर्थात बाहर निकालने
वाली चीजों को रोकता है। जैसे दस्त, आंसू, लार, वीर्य और
पसीना आदि सभी को रोकता है। छुहारे में कैल्शियम अधिक
मात्रा में पाया जाता है। कैल्शियम की कमी से उत्पन्न होने
वाले रोग जैसे हडि्डयों की कमजोरी,
दांतों का गलना आदि छुहारा खाने से ठीक हो जाते हैं।
दमा या श्वास का रोग:
रोजाना 2 से 4 छुहारा मिश्री मिले हुए दूध में उबालकर
गुठली हटाकर छुहारा खाने के बाद वहीं दूध पीने से बहुत लाभ
होता है। इससे शरीर में ताकत आती है तथा बलगम निकल जाता है
जिससे श्वास रोग (दमा) में राहत मिलती है।
छुहारा गर्म होता है। यह फेफड़ों और सीने को बल देता है। कफ व
सदी में इसका सेवन लाभकारी होता है।
पान में छुहारा और सोंठ रखकर कुछ दिनों तक चूसने से श्वास रोग
(दमा) दूर हो जाता है।
अंजनहारी, गुहेरी:
छुहारे के बीज को पानी के साथ पीसकर गुहेरी पर दिन में 2 से 3
बार लेप करने से अंजनहारी में बहुत लाभ होता है।
गैस:
एक छुहारा बिना गुठली का और 30 ग्राम जयपाल खोपरा, 2
ग्राम सेंधानमक को पीसकर और छानकर 3 खुराक बना लें। 3 दिन
तक इस खुराक को 1-1 करके गर्म पानी के साथ सुबह लेने से गैस के
रोग समाप्त हो जाते हैं।
मसूढ़ों से खून आना:
2 से 4 छुहारों को गाय के दूध में उबाल लें। उबल जाने पर छुहारे
निकालकर खायें तथा बचे हुए दूध में मिश्री मिलाकर पीयें।
रोजाना सुबह-शाम इसका सेवन करने से मसूढ़ों से खून व पीव
का निकलना बंद हो जाता है।
दस्त:
छुहारे के पेड़ से प्राप्त गोंद को 3 ग्राम से लेकर 6 ग्राम
की मात्रा में सुबह और शाम चाटने से अतिसार (दस्त) में आराम
मिलता है।
हकलाना, तुतलाना:
रोजाना रात को सोते समय छुहारों को दूध में उबालकर पीयें।
इसको पीने के 2 घण्टे बाद तक पानी न पीयें। इसके
रोजाना प्रयोग से तीखी, भोंड़ी, आवाज साफ हो जाती है।
कमरदर्द:
छुहारे से गुठली निकालकर उसमें गुग्गुल भर दें। इसके बाद छुहारे
को तवे पर सेंककर दूध के साथ सेवन करें। सुबह-शाम 1-1
छुहारा खाने से कमर दर्द मिट जाता है।
सुबह-शाम 2 छुहारों को खाने से कमर दर्द में लाभ होता है।
बिना बीज वाले छुहारे को पीसकर इसके साथ पिस्ता, बादाम,
चिरौंजी और मिश्री मिलाकर, इसमें शुद्ध घी मिलाकर रख दें। 1
सप्ताह बाद इसे 20-20 ग्राम तक की मात्रा में सेवन करने से
कमजोरी दूर हो जाती है।
2-3 छुहारों को स्टील या चीनी मिट्टी के बर्तन में रात-भर
पानी में भिगोए रखने के बाद सुबह गुठली अलग कर दें और छुहारे
को दूध में पकाकर सेवन करें। इससे कमजोरी मिट जाती है।
250 ग्राम गुठलीरहित छुहारे, 250 ग्राम भुने चने, 250 ग्राम गेहूं
का आटा, 60-60 ग्राम चिलगोजा, बादाम की गिरी, 500
ग्राम गाय का घी, 500 ग्राम शक्कर और 2 लीटर गाय का दूध।
दूध में छुहारों को कोमल होने तक उबालें, फिर निकालकर बारीक
पीस लें और फिर उसी दूध में हल्की आग पर खोवा बनने तक तक
पकाएं। अब घी को आग पर गर्म करके गेहूं का आटा डालकर
गुलाबी होने तक धीमी आग में सेंक लें, इसके बाद उसमें चने का चूर्ण
और खोवा डालकर फिर धीमी आग पर गुलाबी होने तक भूने। जब
सुगंध आने लगे तो इसमें शक्कर डालकर खूब अच्छी तरह मिलाएं।
हलवा तैयार हो गया। इसमें और सारी चीजों को डालकर रखें। इसे
50-60 मिलीलीटर की मात्रा में गाय के गर्म दूध के साथ
रोजाना 1 बार सेवन करने से कमजोरी मिट जाती है।
पक्षाघात-लकवा-फालिस फेसियल परालिसिस:
दूध में भिगोकर छुहारा खाने से लकवे के रोग में लाभ प्राप्त
होता है। एक बार में 4 से अधिक छुहारे नहीं खाने चाहिए।
अग्निमान्द्यता (अपच):
छुहारे की गुठली और ऊंटकटोरे की जड़ की छाल का चूर्ण खाने से
अग्निमान्द्यता (भूख का न लगना) में आराम मिलता है।
मधुमेह के रोग:
गुठली निकालकर छुहारे के टुकड़े दिन में 8-10 बार चूसें। कम से कम
6 महीने तक इसका सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।
रक्तपित्त:
2-4 छुहारों को दूध में डालकर ऊपर से मिश्री मिलाकर दूध
को उबाल दें गुठली हटाकर खाने से और दूध को पी लेने से
रक्तपित्त में लाभ होता है।
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