गर्भस्थ शिशुवर्द्धक (गर्भ के अन्दर शिशु का विकास):
गर्भावस्था के दौरान यदि स्त्रियां 60 ग्राम
मूंगफली रोजाना खायें तो गर्भस्थ शिशु के विकास में लाभ
होता है।
स्त्रियों की दुग्धवृद्धि:
रोजाना कच्ची मूंगफली खाने से बच्चों को दूध पिलाने
वाली स्त्रियों को दूध बढ़ जाता है। मुट्टी भर हुई मूंगफलियां सेवन
करना लाभकारी है।
खुश्की, सूखापन:
थोड़ा-सा मूंगफली का तेल, दूध और गुलाब जल को मिलाकर
त्वचा पर मालिश करें। मालिश करने के 20 मिनट के बाद स्नान कर
लेने से त्वचा के रूखापन में लाभ होता है।
मोटापा बढ़ाने के लिए:
थोड़ी सी मात्रा में मूंगफली रोजाना खाने से चर्बी आने
लगती है।
त्वचा के रोग:
दाद, खाज और खुजली में मूंगफली का असली तेल लगाने से आराम
आता है।
होठों का फटना:
नहाने से पहले हथेली में चौथाई चम्मच मूंगफली का तेल लेकर
उंगुली से हथेली में रगड़ लें और फिर होठों पर इस तेल से मालिश करें।
ऐसा करने से होठों का फटना दूर हो जाता है
गर्भावस्था के दौरान यदि स्त्रियां 60 ग्राम
मूंगफली रोजाना खायें तो गर्भस्थ शिशु के विकास में लाभ
होता है।
स्त्रियों की दुग्धवृद्धि:
रोजाना कच्ची मूंगफली खाने से बच्चों को दूध पिलाने
वाली स्त्रियों को दूध बढ़ जाता है। मुट्टी भर हुई मूंगफलियां सेवन
करना लाभकारी है।
खुश्की, सूखापन:
थोड़ा-सा मूंगफली का तेल, दूध और गुलाब जल को मिलाकर
त्वचा पर मालिश करें। मालिश करने के 20 मिनट के बाद स्नान कर
लेने से त्वचा के रूखापन में लाभ होता है।
मोटापा बढ़ाने के लिए:
थोड़ी सी मात्रा में मूंगफली रोजाना खाने से चर्बी आने
लगती है।
त्वचा के रोग:
दाद, खाज और खुजली में मूंगफली का असली तेल लगाने से आराम
आता है।
होठों का फटना:
नहाने से पहले हथेली में चौथाई चम्मच मूंगफली का तेल लेकर
उंगुली से हथेली में रगड़ लें और फिर होठों पर इस तेल से मालिश करें।
ऐसा करने से होठों का फटना दूर हो जाता है
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