सेंधा नमक कितना फायदेमंद है जानिए –
प्राकृतिक नमक हमारे शरीर के लिये बहुत जरूरी है। इसके बावजूद
हम सब घटिया किस्म का आयोडिन मिला हुआ समुद्री नमक
खाते है। यह शायद आश्चर्यजनक लगे , पर यह एक हकीकत है ।
नमक विशेषज्ञ का कहना है कि भारत मे अधिकांश लोग समुद्र
से बना नमक खाते है जो की शरीर के लिए हानिकारक और
जहर के समान है । समुद्री नमक तो अपने आप मे बहुत खतरनाक है
लेकिन उसमे आयोडिन नमक मिलाकर उसे और
जहरीला बना दिया जाता है , आयोडिन की शरीर मे मे
अधिक मात्र जाने से नपुंसकता जैसा गंभीर रोग
हो जाना मामूली बात है।
उत्तम प्रकार का नमक सेंधा नमक है, जो पहाडी नमक है । आयुर्वेद
की बहुत सी दवाईयों मे सेंधा नमक का उपयोग होता है।आम
तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च
रक्तचाप ,डाइबिटीज़,लकवा आदि गंभीर
बीमारियो का भय रहता है । इसके विपरीत सेंधा नमक के
उपयोग से रक्तचाप पर नियन्त्रण रहता है । इसकी शुद्धता के
कारण ही इसका उपयोग व्रत के भोजन मे होता है ।
ऐतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज
पत्थर के नमक को 'सेंधा नमक' या 'सैन्धव नमक' कहा जाता है
जिसका मतलब है 'सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ'।
अक्सर यह नमक इसी खान से आया करता था। सेंधे नमक
को 'लाहौरी नमक' भी कहा जाता है क्योंकि यह
व्यापारिक रूप से अक्सर लाहौर से होता हुआ पूरे उत्तर भारत में
बेचा जाता था।
भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक
नहीं खाता था विदेशी कंपनीया भारत मे नमक के व्यापार मे
आज़ादी के पहले से उतरी हुई है ,उनके कहने पर ही भारत के
अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत
की भोली भली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक
खिलाया जा रहा है सिर्फ आयोडीन के चक्कर में
ज्यादा नमक खाना समझदारी नहीं है,
क्योंकि आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ
हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।
यह सफ़ेद और लाल रंग मे पाया जाता है । सफ़ेद रंग वाला नमक
उत्तम होता है। यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और
पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात
ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़्ते हैं।
रक्त विकार आदि के रोग जिसमे नमक खाने को मना हो उसमे
भी इसका उपयोग किया जा सकता है। यह पित्त नाशक और
आंखों के लिये हितकारी है । दस्त, कृमिजन्य रोगो और
रह्युमेटिज्म मे काफ़ी उपयोगी होता है ।
प्राकृतिक नमक हमारे शरीर के लिये बहुत जरूरी है। इसके बावजूद
हम सब घटिया किस्म का आयोडिन मिला हुआ समुद्री नमक
खाते है। यह शायद आश्चर्यजनक लगे , पर यह एक हकीकत है ।
नमक विशेषज्ञ का कहना है कि भारत मे अधिकांश लोग समुद्र
से बना नमक खाते है जो की शरीर के लिए हानिकारक और
जहर के समान है । समुद्री नमक तो अपने आप मे बहुत खतरनाक है
लेकिन उसमे आयोडिन नमक मिलाकर उसे और
जहरीला बना दिया जाता है , आयोडिन की शरीर मे मे
अधिक मात्र जाने से नपुंसकता जैसा गंभीर रोग
हो जाना मामूली बात है।
उत्तम प्रकार का नमक सेंधा नमक है, जो पहाडी नमक है । आयुर्वेद
की बहुत सी दवाईयों मे सेंधा नमक का उपयोग होता है।आम
तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च
रक्तचाप ,डाइबिटीज़,लकवा आदि गंभीर
बीमारियो का भय रहता है । इसके विपरीत सेंधा नमक के
उपयोग से रक्तचाप पर नियन्त्रण रहता है । इसकी शुद्धता के
कारण ही इसका उपयोग व्रत के भोजन मे होता है ।
ऐतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज
पत्थर के नमक को 'सेंधा नमक' या 'सैन्धव नमक' कहा जाता है
जिसका मतलब है 'सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ'।
अक्सर यह नमक इसी खान से आया करता था। सेंधे नमक
को 'लाहौरी नमक' भी कहा जाता है क्योंकि यह
व्यापारिक रूप से अक्सर लाहौर से होता हुआ पूरे उत्तर भारत में
बेचा जाता था।
भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक
नहीं खाता था विदेशी कंपनीया भारत मे नमक के व्यापार मे
आज़ादी के पहले से उतरी हुई है ,उनके कहने पर ही भारत के
अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत
की भोली भली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक
खिलाया जा रहा है सिर्फ आयोडीन के चक्कर में
ज्यादा नमक खाना समझदारी नहीं है,
क्योंकि आयोडीन हमें आलू, अरवी के साथ-साथ
हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।
यह सफ़ेद और लाल रंग मे पाया जाता है । सफ़ेद रंग वाला नमक
उत्तम होता है। यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और
पाचन मे मददरूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात
ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़्ते हैं।
रक्त विकार आदि के रोग जिसमे नमक खाने को मना हो उसमे
भी इसका उपयोग किया जा सकता है। यह पित्त नाशक और
आंखों के लिये हितकारी है । दस्त, कृमिजन्य रोगो और
रह्युमेटिज्म मे काफ़ी उपयोगी होता है ।
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