वृक्कों (गुर्दों) में पथरी-Renal (Kidney) Stone
वृक्कों गुर्दों में पथरी होने का प्रारंभ में रोगी को कुछ
पता नहीं चलता है, लेकिन जब वृक्कों से निकलकर
पथरी मूत्रनली में पहुंच जाती है तो तीव्र शूल
की उत्पत्ति करती है। पथरी के कारण तीव्र शूल से रोगी तड़प
उठता है।
उत्पत्ति :
भोजन में कैल्शियम, फोस्फोरस और ऑक्जालिकल अम्ल
की मात्रा अधिक होती है तो पथरी का निर्माण होने
लगता है। उक्त तत्त्वों के सूक्ष्म कण मूत्र के साथ निकल नहीं पाते
और वृक्कों में एकत्र होकर पथरी की उत्पत्ति करते हैं। सूक्ष्म
कणों से मिलकर बनी पथरी वृक्कों में तीव्र शूल
की उत्पत्ति करती है। कैल्शियम, फोस्फेट, कोर्बोलिक युक्त
खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन से पथरी का अधिक निर्माण
होता है।
लक्षण :
पथरी के कारण मूत्र का अवरोध होने से शूल की उत्पत्ति होती है।
मूत्र रुक-रुक कर आता है और पथरी के अधिक विकसित होने पर मूत्र
पूरी तरह रुक जाता है। पथरी होने पर मूत्र के साथ रक्त भी निकल
आता है। रोगी को हर समय ऐसा अनुभव होता है कि अभी मूत्र आ
रहा है। मूत्र त्याग की इच्छा बनी रहती है। पथरी के कारण
रोगी के हाथ-पांवों में शोध के लक्षण दिखाई देते हैं। मूत्र करते
समय पीड़ा होती है। कभी-कभी पीड़ा बहुत बढ़ जाती है
तो रोगी पीड़ा से तड़प उठता है। रोगी कमर के दर्द से भी परेशान
रहता है।
क्या खाएं?
* वृक्कों में पथरी पर नारियल का अधिक सेवन करें।
* करेले के 10 ग्राम रस में मिसरी मिलाकर पिएं।
* पालक का 100 ग्राम रस गाजर के रस के साथ पी सकते हैं।
* लाजवंती की जड़ को जल में उबालकर कवाथ बनाकर पीने से
पथरी का निष्कासन हो जाता है।
* इलायची, खरबूजे के बीजों की गिरी और मिसरी सबको कूट-
पीसकर जल में मिलाकर पीने से पथरी नष्ट होती है।
* आंवले का 5 ग्राम चूर्ण मूली के टुकड़ों पर डालकर खाने से
वृक्कों की पथरी नष्ट होती है।
* शलजम की सब्जी का कुछ दिनों तक निरंतर सेवन करें।
* गाजर का रस पीने से पथरी खत्म होती है।
* बथुआ, चौलाई, पालक, करमकल्ला या सहिजन की सब्जी खाने
से बहुत लाभ होता है।
* वृक्कों की पथरी होने पर प्रतिदिन खीरा, प्याज व चुकंदर
का नीबू के रस से बना सलाद खाएं।
* गन्ने का रस पीने से पथरी नष्ट होती है।
* मूली के 25 ग्राम बीजों को जल में उबालकर, क्वाथ बनाएं। इस
क्वाथ को छानकर पिएं।
* चुकंदर का सूप बनाकर पीने से पथरी रोग में लाभ होता है।
* मूली का रस सेवन करने से पथरी नष्ट होती है।
* जामुन, सेब और खरबूजे खाने से पथरी के रोगी को बहुत लाभ
होता है।
नोट: पालक, टमाटर, चुकंदर, भिंडी का सेवन करने से पहले
चिकित्सक से अवश्य परामर्श कर लें।
क्या न खाएं?
* वृक्कों में पथरी होने पर चावलों का सेवन न करें।
* उष्ण मिर्च-मसालों व अम्लीय रस से बने खाद्य
पदार्थों का सेवन न करें।
* गरिष्ठ व वातकारक खाद्य व सब्जियों का सेवन न करें।
* चाय, कॉफी व शराब का सेवन न करें।
* चइनीज व फास्ट फूड वृक्कों की विकृति में बहुत हानि पहंुचाते
हैं।
* मूत्र के वेग को अधिक समय तक न रोकें।
* अधिक शारीरिक श्रम और भारी वजन उठाने के काम न करे ।
वृक्कों गुर्दों में पथरी होने का प्रारंभ में रोगी को कुछ
पता नहीं चलता है, लेकिन जब वृक्कों से निकलकर
पथरी मूत्रनली में पहुंच जाती है तो तीव्र शूल
की उत्पत्ति करती है। पथरी के कारण तीव्र शूल से रोगी तड़प
उठता है।
उत्पत्ति :
भोजन में कैल्शियम, फोस्फोरस और ऑक्जालिकल अम्ल
की मात्रा अधिक होती है तो पथरी का निर्माण होने
लगता है। उक्त तत्त्वों के सूक्ष्म कण मूत्र के साथ निकल नहीं पाते
और वृक्कों में एकत्र होकर पथरी की उत्पत्ति करते हैं। सूक्ष्म
कणों से मिलकर बनी पथरी वृक्कों में तीव्र शूल
की उत्पत्ति करती है। कैल्शियम, फोस्फेट, कोर्बोलिक युक्त
खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन से पथरी का अधिक निर्माण
होता है।
लक्षण :
पथरी के कारण मूत्र का अवरोध होने से शूल की उत्पत्ति होती है।
मूत्र रुक-रुक कर आता है और पथरी के अधिक विकसित होने पर मूत्र
पूरी तरह रुक जाता है। पथरी होने पर मूत्र के साथ रक्त भी निकल
आता है। रोगी को हर समय ऐसा अनुभव होता है कि अभी मूत्र आ
रहा है। मूत्र त्याग की इच्छा बनी रहती है। पथरी के कारण
रोगी के हाथ-पांवों में शोध के लक्षण दिखाई देते हैं। मूत्र करते
समय पीड़ा होती है। कभी-कभी पीड़ा बहुत बढ़ जाती है
तो रोगी पीड़ा से तड़प उठता है। रोगी कमर के दर्द से भी परेशान
रहता है।
क्या खाएं?
* वृक्कों में पथरी पर नारियल का अधिक सेवन करें।
* करेले के 10 ग्राम रस में मिसरी मिलाकर पिएं।
* पालक का 100 ग्राम रस गाजर के रस के साथ पी सकते हैं।
* लाजवंती की जड़ को जल में उबालकर कवाथ बनाकर पीने से
पथरी का निष्कासन हो जाता है।
* इलायची, खरबूजे के बीजों की गिरी और मिसरी सबको कूट-
पीसकर जल में मिलाकर पीने से पथरी नष्ट होती है।
* आंवले का 5 ग्राम चूर्ण मूली के टुकड़ों पर डालकर खाने से
वृक्कों की पथरी नष्ट होती है।
* शलजम की सब्जी का कुछ दिनों तक निरंतर सेवन करें।
* गाजर का रस पीने से पथरी खत्म होती है।
* बथुआ, चौलाई, पालक, करमकल्ला या सहिजन की सब्जी खाने
से बहुत लाभ होता है।
* वृक्कों की पथरी होने पर प्रतिदिन खीरा, प्याज व चुकंदर
का नीबू के रस से बना सलाद खाएं।
* गन्ने का रस पीने से पथरी नष्ट होती है।
* मूली के 25 ग्राम बीजों को जल में उबालकर, क्वाथ बनाएं। इस
क्वाथ को छानकर पिएं।
* चुकंदर का सूप बनाकर पीने से पथरी रोग में लाभ होता है।
* मूली का रस सेवन करने से पथरी नष्ट होती है।
* जामुन, सेब और खरबूजे खाने से पथरी के रोगी को बहुत लाभ
होता है।
नोट: पालक, टमाटर, चुकंदर, भिंडी का सेवन करने से पहले
चिकित्सक से अवश्य परामर्श कर लें।
क्या न खाएं?
* वृक्कों में पथरी होने पर चावलों का सेवन न करें।
* उष्ण मिर्च-मसालों व अम्लीय रस से बने खाद्य
पदार्थों का सेवन न करें।
* गरिष्ठ व वातकारक खाद्य व सब्जियों का सेवन न करें।
* चाय, कॉफी व शराब का सेवन न करें।
* चइनीज व फास्ट फूड वृक्कों की विकृति में बहुत हानि पहंुचाते
हैं।
* मूत्र के वेग को अधिक समय तक न रोकें।
* अधिक शारीरिक श्रम और भारी वजन उठाने के काम न करे ।
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