1. अखरोट की रचना सिर की तरह
होती है तथा उसके अंदर भरा हुआ
गूदा मस्तिष्क की तरह होता है।
यही गूदा पर्याप्त मात्रा में
नियमित सेवन करने से सिर
संबंधी समस्याओं पर कंट्रोल
होता है तथा मस्तिष्क की कार्य
क्षमता एवं क्रिया प्रणाली में
पॉजीटिव प्रभाव नजर आने लगता है।
2. पिस्ता आँख की भाँति दिखाई
देता है। पिस्ते के अंदर
का खाया जाने वाला हरे रंग
का हिस्सा आँख के लिए परम लाभदायक
होता है, इसलिए नेत्रों के लिए
परम लाभदायक होता है। नेत्र लाभ
के लिए कुछ मात्रा में पिस्ते
का सेवन हमें करना चाहिए या यूँ
कहें कि नेत्र रोगों के इलाज में
पिस्ता आपकी सहायता कर सकता है।
3. जिन्होंने किडनी को देखा है
या जो उसके आकार से परिचित हैं, वे
यह कह सकते हैं कि काजू, सोयाबीन
तथा किडनी बीन जैसे कुछ मेवे
तथा फली वाले अनाज वगैरह
किडनी को स्वस्थ बनाए रखने में
सहायक हो सकते हैं।
4. किशमिश या अंगूर
की रचना पित्ताशय (गाल ब्लैडर) से
बहुत कुछ 'मैच' करती है, इसीलिए
पित्ताशय को चुस्त-दुरुस्त रखने
के लिए किशमिश या अंगूर का सेवन
लाभदायक हो सकता है।
5. बादाम का आकार जहाँ एक ओर
नेत्रों की तरह होता है,
वहीं दूसरी ओर
उसकी समानता मस्तिष्क से
भी की जा सकती है। बादाम का नियमित
सेवन नेत्र तथा मस्तिष्क
दोनों ही के लिए परम
प्रभावी होता है।
6. अनार के दानों का रंग रक्त के
समान होने से अनारदानों का रस
रक्त शोधक (खून की सफाई करने वाला)
एवं रक्तर्द्धक (खून बढ़ाने वाला)
होता है।
7. सेवफल का आकार और रंग भी बहुत
कुछ हृदय के समान होता है, इसलिए
सेवफल का नियमित सेवन हृदय के लिए
विशेष लाभदायक होता है।
8. नारंगी की फाँकें किडनी और आँत
से मेल खाती हैं, इसीलिए
इसका नियमित सेवन किडनी तथा आँत
के लिए फायदेमंद है।
9. गिलकी या घिया और तोरई आँत के
एक भाग की तरह दिखाई देती है,
इसलिए आँत
की क्रिया प्रणाली को व्यवस्थित
करने में इसका जवाब नहीं इनमें
'रफेज' की मात्रा भी बहुत है।
10. लम्बी-पतली ककड़ी तो मानो आँत
ही हो। इसका सेवन कब्ज दूर करता है
और आँत क्रिया प्रणाली को नियमित
करता है। ऐसे अनेक प्राकृतिक
संकेत या संदेश वनस्पतिज
पदार्थों में छिपे हुए हैं,
जिनको समझकर स्वास्थ्य लाभ
उठाया जा सकता है।
होती है तथा उसके अंदर भरा हुआ
गूदा मस्तिष्क की तरह होता है।
यही गूदा पर्याप्त मात्रा में
नियमित सेवन करने से सिर
संबंधी समस्याओं पर कंट्रोल
होता है तथा मस्तिष्क की कार्य
क्षमता एवं क्रिया प्रणाली में
पॉजीटिव प्रभाव नजर आने लगता है।
2. पिस्ता आँख की भाँति दिखाई
देता है। पिस्ते के अंदर
का खाया जाने वाला हरे रंग
का हिस्सा आँख के लिए परम लाभदायक
होता है, इसलिए नेत्रों के लिए
परम लाभदायक होता है। नेत्र लाभ
के लिए कुछ मात्रा में पिस्ते
का सेवन हमें करना चाहिए या यूँ
कहें कि नेत्र रोगों के इलाज में
पिस्ता आपकी सहायता कर सकता है।
3. जिन्होंने किडनी को देखा है
या जो उसके आकार से परिचित हैं, वे
यह कह सकते हैं कि काजू, सोयाबीन
तथा किडनी बीन जैसे कुछ मेवे
तथा फली वाले अनाज वगैरह
किडनी को स्वस्थ बनाए रखने में
सहायक हो सकते हैं।
4. किशमिश या अंगूर
की रचना पित्ताशय (गाल ब्लैडर) से
बहुत कुछ 'मैच' करती है, इसीलिए
पित्ताशय को चुस्त-दुरुस्त रखने
के लिए किशमिश या अंगूर का सेवन
लाभदायक हो सकता है।
5. बादाम का आकार जहाँ एक ओर
नेत्रों की तरह होता है,
वहीं दूसरी ओर
उसकी समानता मस्तिष्क से
भी की जा सकती है। बादाम का नियमित
सेवन नेत्र तथा मस्तिष्क
दोनों ही के लिए परम
प्रभावी होता है।
6. अनार के दानों का रंग रक्त के
समान होने से अनारदानों का रस
रक्त शोधक (खून की सफाई करने वाला)
एवं रक्तर्द्धक (खून बढ़ाने वाला)
होता है।
7. सेवफल का आकार और रंग भी बहुत
कुछ हृदय के समान होता है, इसलिए
सेवफल का नियमित सेवन हृदय के लिए
विशेष लाभदायक होता है।
8. नारंगी की फाँकें किडनी और आँत
से मेल खाती हैं, इसीलिए
इसका नियमित सेवन किडनी तथा आँत
के लिए फायदेमंद है।
9. गिलकी या घिया और तोरई आँत के
एक भाग की तरह दिखाई देती है,
इसलिए आँत
की क्रिया प्रणाली को व्यवस्थित
करने में इसका जवाब नहीं इनमें
'रफेज' की मात्रा भी बहुत है।
10. लम्बी-पतली ककड़ी तो मानो आँत
ही हो। इसका सेवन कब्ज दूर करता है
और आँत क्रिया प्रणाली को नियमित
करता है। ऐसे अनेक प्राकृतिक
संकेत या संदेश वनस्पतिज
पदार्थों में छिपे हुए हैं,
जिनको समझकर स्वास्थ्य लाभ
उठाया जा सकता है।
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