रविवार, 21 दिसंबर 2014

चाय से नूकशान.....


सिर्फ दो सौ वर्ष पहले तक भारतीय घर में चाय नहीं होती थी.
आज कोई भी घर आये अतिथि को पहले चाय पूछता है. ये बदलाव
अंग्रेजों की देन है. कई लोग ऑफिस में दिन भर चाय लेते रहते है.
यहाँ तक की उपवास में भी चाय लेते है! किसी भी डॉक्टर के पास
जायेंगे तो वो शराब - सिगरेट - तम्बाखू छोड़ने को कहेगा , पर
चाय नहीं. क्योंकि यह उसे पढ़ाया नहीं गया और वह खुद
इसका गुलाम है. पर किसी अच्छे वैद्य के पास जाओगे तो वह पहले
सलाह देगा चाय ना पियें . चाय की हरी पत्ती पानी में उबाल
कर पिने में कोई बुराई नहीं पर जहां यह फर्मेंट हो कर काली हुई
सारी बुराइयां उसमे आ जाती है. आइये जानते है कैसे ..... अंत में
विकल्प ज़रूर पढ़ लें.
- हमारे गर्म देश में चाय और गर्मी बढ़ाती है. पित्त बढ़ाती है.
- चाय के सेवन करने से शरीर में उपलब्ध विटामिन्स नष्ट होते हैं।
- इसके सेवन से स्मरण शक्ति में दुर्बलता आती है।
- चाय का सेवन लिवर पर बुरा प्रभाव डालता है।
- चाय का सेवन रक्त आदि की वास्तविक उष्मा को नष्ट करने में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- दूध से बनी चाय का सेवन आमाशय पर बुरा प्रभाव डालता है और
पाचन क्रिया को क्षति पहुंचाता है।
- चाय में उपलब्ध कैफीन हृदय पर बुरा प्रभाव डालती है, अत: चाय
का अधिक सेवन प्राय: हृदय के रोग को उत्पन्न करने में सहायक
होता है।
- चाय में कैफीन तत्व छ: प्रतिशत मात्रा में होता है जो रक्त
को दूषित करने के साथ शरीर के अवयवों को कमजोर भी करता है।
- चाय पीने से खून गन्दा हो जाता है और चेहरे पर लाल
फुंसियां निकल आती है.
- जो लोग चाय बहुत पीते है उनकी आंतें जवाब दे जाती है. कब्ज घर
कर जाती है और मल निष्कासन में कठिनाई आती है.
- चाय पीने से कैंसर तक होने की संभावना भी रहती है।
- चाय से स्नायविक गड़बडियां होती हैं, कमजोरी और पेट में गैस
भी।
- चाय पीने से अनिद्रा की शिकायत भी बढ़ती जाती है।
- चाय से न्यूरोलाजिकल गड़बड़ियां आ जाती है.
- चाय में उपलब्ध यूरिक एसिड से मूत्राशय या मूत्र नलिकायें
निर्बल हो जाती हैं, जिसके परिणाम स्वरूप चाय का सेवन करने
वाले व्यक्ति को बार-बार मूत्र आने की समस्या उत्पन्न
हो जाती है।
- इससे दांत खराब होते है.
- रेलवे स्टेशनों या टी स्टालों पर बिकने वाली चाय का सेवन
यदि न करें तो बेहतर होगा क्योंकि ये बरतन को साफ किये
बिना कई बार इसी में चाय बनाते रहते हैं जिस कारण कई बार चाय
विषैली हो जाती है। चाय को कभी भी दोबारा गर्म करके न
पिएं तो बेहतर होगा।
- बाज़ार की चाय अक्सर अल्युमीनियम के भगोने में खदका कर
बनाई जाती है। चाय के अलावा यह अल्युमीनियम भी घुल कर पेट
की प्रणाली को बार्बाद करने में कम भूमिका नहीं निभाता है।
- कई बार हम लोग बची हुई चाय को थरमस में डालकर रख देते हैं
इसलिए भूलकर भी ज्यादा देर तक थरमस में रखी चाय का सेवन न
करें। जितना हो सके चायपत्ती को कम उबालें तथा एक बार चाय
बन जाने पर इस्तेमाल की गई चायपत्ती को फेंक दें।
- शरीर में आयरन अवशोषित ना हो पाने से
एनीमिया हो जाता है.
- इसमें मौजूद कैफीन लत लगा देता है. लत हमेशा बुरी ही होती है.
- ज़्यादा चाय पिने से खुश्की आ जाती है.आंतों के स्नायु
भी कठोर बन जाते हैं।
- चाय के हर कप के साथ एक या अधिक चम्मच शकर ली जाती है
जो वजन बढाती है.
- अक्सर लोग चाय के साथ नमकीन , खारे बिस्कुट ,
पकौड़ी आदि लेते है. यह विरुद्ध आहार है. इससे त्वचा रोग होते है.
- चाय से भूख मर जाती है, दिमाग सूखने लगता है, गुदा और
वीर्याशय ढीले पड़ जाते हैं। डायबिटीज़ जैसे रोग होते हैं। दिमाग
सूखने से उड़ जाने वाली नींद के कारण आभासित कृत्रिम
स्फूर्ति को स्फूर्ति मान लेना, यह बड़ी गलती है।
- चाय-कॉफी के विनाशकारी व्यसन में फँसे हुए लोग
स्फूर्ति का बहाना बनाकर हारे हुए जुआरी की तरह व्यसन में
अधिकाधिक गहरे डूबते जाते हैं वे लोग शरीर, मन, दिमाग और
पसीने की कमाई को व्यर्थ गँवा देते हैं और भयंकर व्याधियों के
शिकार बन जाते हैं।
विकल्प --
- पहले तो संकल्प कर लें की चाय नहीं पियेंगे. दो दिन से एक हफ्ते
तक याद आएगी ; फिर सोचोगे अच्छा हुआ छोड़ दी.एक दो दिन
सिर दर्द हो सकता है.अनुलोम -विलोम करें.
- सुबह ताजगी के लिए गर्म पानी ले. चाहे तो उसमे आंवले के टुकड़े
मिला दे. थोड़ा एलो वेरा मिला दे.
- सुबह गर्म पानी में शहद निम्बू डाल के पी सकते है.
- गर्म पानी में तरह तरह
की पत्तियाँ या फूलों की पंखुड़ियां दाल कर पी सकते है.
जापान में लोग ऐसी ही चाय पिते है और स्वस्थ और दीर्घायु होते
है.
- कभी पानी में मधुमालती की पंखुड़ियां , कभी मोगरे की ,
कभी जासवंद , कभी पारिजात आदि डाल कर पियें.
- गर्म पानी में तुलसी , लेमन ग्रास , तेजपत्ता ,
पारिजात ,आदि के पत्ते या अर्जुन की छाल या इलायची ,
दालचीनी इनमे से एक कुछ डाल कर पियें .
- दिन में अतिथि या स्वयं के लिए घर में बना शरबत , लस्सी ,
छाछ , ज्यूस , दूध या खीर आदि बना सकते है.
- दोपहर चार बजे के बाद ठन्डे पेय ना ले कर गर्म पेय ले.
- एक रूचिकर और लाभप्रद एक पेय (क्वाथ) बनाने की विधि इस
प्रकार हैः
आयुर्वेदिक चाय
सामग्रीः गुलबनप्शा 25 ग्राम। छाया में सुखाये हुए तुलसी के पत्ते
25 ग्राम। तज 25 ग्राम। छोटी इलायची 12 ग्राम। सौंफ 12
ग्राम। ब्राह्मी के सूखे पत्ते 12 ग्राम। जेठी मध छिली हुई 12
ग्राम।
विधिः उपरोक्त प्रत्येक वस्तु को अलग-अलग कूटकर चूर्ण करके
मिश्रण कर लें। जब चाय-कॉफी पीने की आवश्यकता महसूस
हो तब मिश्रण में से 5-6 ग्राम चूर्ण लेकर 400 ग्राम पानी में
उबालें। जब आधा पानी बाकी रहे तब नीचे उतारकर छान लें। उसमें
दूध-खांड मिलाकर धीरे-धीर पियें।
लाभः इस पेय को लेने से मस्तिष्क में शक्ति आती है। शरीर में
स्फूर्ति आती है। भूख बढ़ती है। पाचनक्रिया वेगवती बनती है।
सर्दी, बलगम, खाँसी, दमा, श्वास, कफजन्य ज्वर और
न्यूमोनिया जैसे रोग होने से रुकते हैं।

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