विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)
शक्तिदायक:
उड़द में शक्ति को बढ़ाने (शक्तिवर्द्धक) का गुण है। उड़द
का प्रयोग किसी भी तरह से करने पर शक्ति बढ़ती है।
रात्रि को 30 ग्राम उड़द की दाल पानी में भिगो दें और सुबह इसे
पीसकर दूध व मिश्री के साथ मिलाकर पीने से मस्तिष्क व वीर्य
के लिए बहुत ही लाभकारी है। ध्यान रहें : इसे अच्छी पाचन
शक्ति वाले ही इस्तेमाल करें। छिलके सहित उड़द खाने से मांस
बढ़ता है। उड़द दाल में हींग का छौंका देने से इसके गुणों में अधिक
वृद्धि हो जाती है। भीगी हुई उड़द दाल को पीसकर एक चम्मच
देशी घी व आधा चम्मच शहद में मिलाकर चाटने के बाद
मिश्री मिला हुआ दूध पीना लाभदायक है। इसका प्रयोग
लगातार करते रहने से पुरुष घोड़े की तरह ताकतवर हो जाता है।
उड़द दाल को पानी में भिगोकर और उसे पीसकर उसमें नमक,
कालीमिर्च, हींग, जीरा, लहसुन और अदरक मिलाकर उसके `बड़े´
(एक पकवान) बनायें। ये बड़े घी या तेल में डालकर खाने से वायु,
दुर्बलता, बेस्वाद (अरुचि), टी.बी. व दर्द दूर हो जाता है। उड़द
दाल को पीसकर दही में मिलाकर व तलकर सेवन से पुरुषों के बल और
धातु में बढ़ोत्तरी होती है।
उड़द दाल का आटा 500 ग्राम, गेहूं का आटा 500 ग्राम व पीपर
का चूर्ण 500 ग्राम लें और उसमें 100 ग्राम घी मिलाकर चूल्हे पर
पकाकर 40-40 ग्राम वजन का लड्डू बना लें। रात को सोने के समय
एक लड्डू सेवन करके ऊपर से 250 मिलीलीटर दूध पी लें। इसके प्रयोग
में खट्टे, खारे व तेल वाले चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए
जिससे शरीर क्षीण नहीं होता और शारीरिक ताकत बढ़ती है।
सफेद दाग:
उड़द के आटे को भिगोकर व पीसकर सफेद दाग पर नित्य चार
महीने तक लगाने से सफेद दाग खत्म हो जाते हैं।
काले उड़द को पीसकर सफेद दागों पर दिन में 3-4 बार दागों में
लगाने से सफेद दागों का रंग वापस शरीर के बाकी रंग की तरह
होने लगता है।
गंजापन :
उड़द दाल को उबालकर पीस लें। रात को सोने के समय सिर पर लेप
करें। इससे गंजापन धीरे-धीरे दूर होकर नये बाल आने शुरू हो जाते हैं।
मर्दाना शक्ति:
उड़द का एक लड्डू रोजाना खाकर उसके बाद दूध पीने से वीर्य
बढ़कर धातु पुष्ट होता है और रति शक्ति (संभोग) बढ़ती है।
हिचकी:
साबूत उड़द जले हुए कोयले पर डालें और इसका धुंआ सूंघे। इससे
हिचकी खत्म हो जाती है।
उड़द और हींग का चूर्ण मिलाकर अग्नि में जलाकर इसका धूम्रपान
करने से हिचकी में फायदा होता है।
नकसीर, सिरदर्द:
उड़द दाल को भिगोकर व पीसकर ललाट पर लेप करने से नकसीर व
गर्मी से हुआ सिरदर्द ठीक हो जाता है।
फोडे़:
फोड़े से गाढ़ी पीव निकले तो उड़द की पट्टी बांधने से लाभ
होता है।
पेशाब के साथ वीर्य का जाना :
उड़द दाल का आटा 10 से 15 ग्राम लेकर उसे गाय के दूध में उबालें,
फिर उसमें घी डालकर थोड़ा गर्म-गर्म 7 दिनों तक लगातार पीने
से मूत्र के साथ धातु का निकलना बन्द हो जाता है।
पेशाब का बार-बार आना:
आंवले का रस, शहद से या अडूसे का रस जवाक्षार डालकर पीने से
पेशाब का बार बार आना बन्द होता है।
अगर एक चम्मच आंवले के रस में, आधा चम्मच हल्दी और 1 चम्मच शहद
मिलाकर खाये तो पूरा लाभ होता है।
नपुंसकता:
उड़द की दाल 40 ग्राम को पीसकर शहद और घी में मिलाकर
खाने से पुरुष कुछ ही दिनों में मैथुन करने के लायक बन जाता है।
उड़द की दाल के थोड़े-से लड्डू बना लें। उसमें से दो-दो लड्डू खायें
और ऊपर से दूध पी लें। इससे नुपंसकता दूर हो जाती है।
बालों के रोग:
200 ग्राम उड़द की दाल, 100 ग्राम आंवला, 50 ग्राम
शिकाकाई, 25 ग्राम मेथी को कूटकर छान लें। इस मिश्रण में से 25
ग्राम दवा 200 मिलीलीटर पानी के साथ एक घंटा भिगोकर रख
दें और इसके बाद इसको मथ-छानकर बालों को धो लें, इससे
बालों के रोगों में लाभ होता है।
उड़द की दाल उबालकर पीस लें और इसको रात को सोते समय सिर
के गंजेपन की जगह पर लगायें। इससे बाल उग आते हैं।
स्तनों में दूध की वृद्धि:
उड़द की दाल में घी मिलाकर खाने से स्त्रियों के स्तनों में
पर्याप्त मात्रा में दूध की वृद्धि होती है।
कमजोरी:
उड़द की दाल का लड्डू रोजाना सुबह खाकर ऊपर से दूध पीने से
कमजोरी कम होती है।
मोटापा बढ़ाना:
उड़द की दाल छिलके सहित खाने से शरीर मोटा होता है।
सभी प्रकार के दर्द:
उड़द की दाल की बड़ियां (पकौड़ी) को तेल में पकाकर बना लें,
फिर इन बड़ियों को शहद और देशी घी में डालकर खाने से
`अन्नद्रव शूल´ यानी अनाज के कारण होने वाले दर्द में लाभ
देता हैं।
नकसीर:
उड़द की दाल को भिगोकर पीस लें। इस पिसी हुई दाल को माथे
पर लगाने से नकसीर (नाक से खून बहना) बन्द हो जाती है।
गठिया (जोड़ों का दर्द):
उड़द की दाल को अरण्ड की छाल के साथ उबालकर उबले उड़द के
दाने चबाने से गठिया में हड्डी के अन्दर होने वाली कमजोरी दूर
हो जाती है।
शक्तिदायक:
उड़द में शक्ति को बढ़ाने (शक्तिवर्द्धक) का गुण है। उड़द
का प्रयोग किसी भी तरह से करने पर शक्ति बढ़ती है।
रात्रि को 30 ग्राम उड़द की दाल पानी में भिगो दें और सुबह इसे
पीसकर दूध व मिश्री के साथ मिलाकर पीने से मस्तिष्क व वीर्य
के लिए बहुत ही लाभकारी है। ध्यान रहें : इसे अच्छी पाचन
शक्ति वाले ही इस्तेमाल करें। छिलके सहित उड़द खाने से मांस
बढ़ता है। उड़द दाल में हींग का छौंका देने से इसके गुणों में अधिक
वृद्धि हो जाती है। भीगी हुई उड़द दाल को पीसकर एक चम्मच
देशी घी व आधा चम्मच शहद में मिलाकर चाटने के बाद
मिश्री मिला हुआ दूध पीना लाभदायक है। इसका प्रयोग
लगातार करते रहने से पुरुष घोड़े की तरह ताकतवर हो जाता है।
उड़द दाल को पानी में भिगोकर और उसे पीसकर उसमें नमक,
कालीमिर्च, हींग, जीरा, लहसुन और अदरक मिलाकर उसके `बड़े´
(एक पकवान) बनायें। ये बड़े घी या तेल में डालकर खाने से वायु,
दुर्बलता, बेस्वाद (अरुचि), टी.बी. व दर्द दूर हो जाता है। उड़द
दाल को पीसकर दही में मिलाकर व तलकर सेवन से पुरुषों के बल और
धातु में बढ़ोत्तरी होती है।
उड़द दाल का आटा 500 ग्राम, गेहूं का आटा 500 ग्राम व पीपर
का चूर्ण 500 ग्राम लें और उसमें 100 ग्राम घी मिलाकर चूल्हे पर
पकाकर 40-40 ग्राम वजन का लड्डू बना लें। रात को सोने के समय
एक लड्डू सेवन करके ऊपर से 250 मिलीलीटर दूध पी लें। इसके प्रयोग
में खट्टे, खारे व तेल वाले चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए
जिससे शरीर क्षीण नहीं होता और शारीरिक ताकत बढ़ती है।
सफेद दाग:
उड़द के आटे को भिगोकर व पीसकर सफेद दाग पर नित्य चार
महीने तक लगाने से सफेद दाग खत्म हो जाते हैं।
काले उड़द को पीसकर सफेद दागों पर दिन में 3-4 बार दागों में
लगाने से सफेद दागों का रंग वापस शरीर के बाकी रंग की तरह
होने लगता है।
गंजापन :
उड़द दाल को उबालकर पीस लें। रात को सोने के समय सिर पर लेप
करें। इससे गंजापन धीरे-धीरे दूर होकर नये बाल आने शुरू हो जाते हैं।
मर्दाना शक्ति:
उड़द का एक लड्डू रोजाना खाकर उसके बाद दूध पीने से वीर्य
बढ़कर धातु पुष्ट होता है और रति शक्ति (संभोग) बढ़ती है।
हिचकी:
साबूत उड़द जले हुए कोयले पर डालें और इसका धुंआ सूंघे। इससे
हिचकी खत्म हो जाती है।
उड़द और हींग का चूर्ण मिलाकर अग्नि में जलाकर इसका धूम्रपान
करने से हिचकी में फायदा होता है।
नकसीर, सिरदर्द:
उड़द दाल को भिगोकर व पीसकर ललाट पर लेप करने से नकसीर व
गर्मी से हुआ सिरदर्द ठीक हो जाता है।
फोडे़:
फोड़े से गाढ़ी पीव निकले तो उड़द की पट्टी बांधने से लाभ
होता है।
पेशाब के साथ वीर्य का जाना :
उड़द दाल का आटा 10 से 15 ग्राम लेकर उसे गाय के दूध में उबालें,
फिर उसमें घी डालकर थोड़ा गर्म-गर्म 7 दिनों तक लगातार पीने
से मूत्र के साथ धातु का निकलना बन्द हो जाता है।
पेशाब का बार-बार आना:
आंवले का रस, शहद से या अडूसे का रस जवाक्षार डालकर पीने से
पेशाब का बार बार आना बन्द होता है।
अगर एक चम्मच आंवले के रस में, आधा चम्मच हल्दी और 1 चम्मच शहद
मिलाकर खाये तो पूरा लाभ होता है।
नपुंसकता:
उड़द की दाल 40 ग्राम को पीसकर शहद और घी में मिलाकर
खाने से पुरुष कुछ ही दिनों में मैथुन करने के लायक बन जाता है।
उड़द की दाल के थोड़े-से लड्डू बना लें। उसमें से दो-दो लड्डू खायें
और ऊपर से दूध पी लें। इससे नुपंसकता दूर हो जाती है।
बालों के रोग:
200 ग्राम उड़द की दाल, 100 ग्राम आंवला, 50 ग्राम
शिकाकाई, 25 ग्राम मेथी को कूटकर छान लें। इस मिश्रण में से 25
ग्राम दवा 200 मिलीलीटर पानी के साथ एक घंटा भिगोकर रख
दें और इसके बाद इसको मथ-छानकर बालों को धो लें, इससे
बालों के रोगों में लाभ होता है।
उड़द की दाल उबालकर पीस लें और इसको रात को सोते समय सिर
के गंजेपन की जगह पर लगायें। इससे बाल उग आते हैं।
स्तनों में दूध की वृद्धि:
उड़द की दाल में घी मिलाकर खाने से स्त्रियों के स्तनों में
पर्याप्त मात्रा में दूध की वृद्धि होती है।
कमजोरी:
उड़द की दाल का लड्डू रोजाना सुबह खाकर ऊपर से दूध पीने से
कमजोरी कम होती है।
मोटापा बढ़ाना:
उड़द की दाल छिलके सहित खाने से शरीर मोटा होता है।
सभी प्रकार के दर्द:
उड़द की दाल की बड़ियां (पकौड़ी) को तेल में पकाकर बना लें,
फिर इन बड़ियों को शहद और देशी घी में डालकर खाने से
`अन्नद्रव शूल´ यानी अनाज के कारण होने वाले दर्द में लाभ
देता हैं।
नकसीर:
उड़द की दाल को भिगोकर पीस लें। इस पिसी हुई दाल को माथे
पर लगाने से नकसीर (नाक से खून बहना) बन्द हो जाती है।
गठिया (जोड़ों का दर्द):
उड़द की दाल को अरण्ड की छाल के साथ उबालकर उबले उड़द के
दाने चबाने से गठिया में हड्डी के अन्दर होने वाली कमजोरी दूर
हो जाती है।
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