रविवार, 21 दिसंबर 2014

शिरीष या सिरस --------------

- इस पेड़ के पत्ते इमली की तरह पर कुछ बड़े होते है. बारिश के
दिनों में इस पर सुन्दर सफ़ेद , लाल या पीले फूल लगते है. फिर
सर्दियों में इसकी फलियाँ बन जाती है. यह बागीचे
की सुन्दरताको तो बढाता है ही , साथ ही यह औषधि भी है.
- यह त्रिदोषशामक है.
- पीले सिरस के पत्तों को घी में भूनकर दिन में 3 बार लेने से
खांसी खत्म होती है।
- प्रतिदिन सिरस के फूलों को पीसकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे में
निखार आता है। इससे चेहरे के दाग, धब्बे, मुंहासे आदि खत्म होते हैं।
इसका इस्तेमाल कम से कम 1 महीने तक करें।
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आंखों के विकार - सिरस के पत्तों का रस काजल की तरह
आंखों में लगाने से आंखों का दर्द समाप्त होता है।
सिरस के पत्तों के रस में कपड़े को भिगोकर सुखा लें और फिर कपड़े
को पत्तों के रस में भिगोकर सुखा लें। इस तरह इसे 3 बार भिगोएं
और फिर इस कपड़े की बत्ती बनाकर चमेली के तेल में जलाकर
काजल बना लें। इस काजल को प्रतिदिन आंखों में लगाने से
आंखों के सब रोग दूर होते हैं।
सिरस के बीजों की मींगी तथा खिरनी के बीज का कुछ भाग
लेकर पीसकर लें और इसे पानी मे उबालकर सिरस के पत्तों के रस के
साथ घोट लें। इसके बाद इसकी गोलियां बनाकर छाया में
सुखा लें। इन गोलियों को स्त्री के दूध में घिसकर आंखों में लगाने
से आंखों का फूला व माण्डा दूर होता है।
- त्वचा विकार - सिरस की छाल को पानी में पीसकर दाद,
खाज, खुजली पर प्रतिदिन सुबह-शाम लेप करने से खुजली व दाद
ठीक होता है।
सिरस के फूलों को पीसकर किसी भी शर्बत में एक चम्मच
मिलाकर पीने से खून साफ होता है और त्वचा के सभी रोग ठीक
होते हैं।
सिरस के बीज को पीसकर चंदन की तरह लगाने से खाज-खुजली दूर
होती है।
सफेद सिरस की छाल को पानी के साथ पीसकर जख्म, खुजली व
दाद पर लगाने से सभी प्रकार के त्वचा रोग ठीक होते हैं।
सिरस के पत्तों की पोटली बनाकर फोड़े-फुन्सियों व सूजन के
ऊपर बांधने से लाभ मिलाता है।
गर्मी के फोड़े-फुन्सी व पित्त की सूजन पर सिरस के
फूलों का पीसकर लेप करें। इससे सूजन दूर होती है और फोड़े-
फुन्सी ठीक होती है।
सिरस के बीज का उपयोग करने से त्वचा के अर्बुद और गांठ समाप्त
होती है।
- कुष्ठ रोग -15 ग्राम सिरस के पत्ते और 2 ग्राम कालीमिर्च
को पीसकर 40 दिन तक सेवन करने से कुष्ठ (कोढ़) रोग नष्ट
होता है।
सिरस के बीजों का तेल निकालकर प्रतिदिन रोगग्रस्त स्थान पर
लगाने से कुष्ठ ठीक होता है। इससे कुष्ठ के कीड़े व अन्य त्वचा रोग
भी समाप्त होता है।
- सिरस की जड़ का काढ़ा बनाकर गरारे करने से तथा सिरस
की जड़ का चूर्ण बनाकर मंजन करने से दांत मजबूत होते हैं। इससे
मसूढ़ों के सभी रोग दूर होता है। सिरस की छाल
का काढ़ा बनाकर बार-बार कुल्ला करने से पायरिया रोग ठीक
होता है। इससे मसूढ़ों से खून आना बंद होता है।
- जलोदर रोग से पीड़ित रोगी को सिरस की छाल
का काढ़ा बनाकर पिलाना चाहिए। इससे पेट का पानी पेशाब
के रास्ते से बाहर निकल जाता है।
- सिरस के पत्तों का रस गर्म करके उसके अंदर थोड़ी सी हींग
मिलाकर कान में डालने से कान का दर्द दूर होता है।
- सिर दर्द में सिरस के ताजे 5 फूल गीले रूमाल में लपेटकर या इसके
बीजों का चूर्ण सूंघना चाहिए। इससे सिर का दर्द ठीक होता है।
- शीतपित्ती के दाने निकलने पर सिरस के फूलों का पानी के
साथ पीसकर लेप करें और इसके फूलों को पीसकर 1 चम्मच
की मात्रा में 1 चम्मच शहद के साथ सेवन करें। इससे दाने नष्ट होते हैं
और शीतपित्त ठीक होता है।
- सिरस के बीजों का चूर्ण 10 ग्राम, 5 ग्राम हरड़ का चूर्ण और 2
चुटकी सेंधा नमक। इन सभी को पीसकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण 1
चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन रात को खाना खाने के बाद सेवन
करें। इससे कब्ज दूर होती है।
- कीट दंश -सिरस के फूलों को पीसकर जहरीले कीड़ों के डंक पर
लेप करने से विष उतर जाता है।
सिरस के बीजों को थूहर के दूध में पीसकर लेप करने से
किसी भी जहरीले कीड़े का विष समाप्त होता है।
- पेट के कीड़े- 10 ग्राम सिरस की छाल को लगभग 500
मिलीलीटर पानी में अच्छी तरह पका लें और जब पानी केवल 100
मिलीलीटर बाकी रह जाए तो छानकर पीएं। इससे दस्त के साथ
कीड़े निकल जाते हैं।
- 10 ग्राम सिरस के पत्तों को पानी में घोटकर मिश्री मिलाकर
सुबह-शाम पीने से पेशाब की जलन समाप्त होती है।
- 1 से 3 ग्राम सिरस की छाल का चूर्ण घी के साथ मिलाकर
प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है और शरीर
का खून साफ होता है।

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