शुक्रवार, 19 दिसंबर 2014

कुछ इस तरह पाये साइनस के रोग से छुटकारा ..

कुछ इस तरह पाये साइनस के रोग से छुटकारा ..
साइनस नाक का एक रोग है। आयुर्वेद में इसे प्रतिश्याय नाम से
जाना जाता है। सर्दी के मौसम में नाक बंद होना, सिर में दर्द
होना, आधे सिर में बहुत तेज दर्द होना, नाक से पानी गिरना इस
रोग के लक्षण हैं। इसमें रोगी को हल्का बुखार, आंखों में पलकों के
ऊपर या दोनों किनारों पर दर्द रहता है।
तनाव, निराशा के साथ ही चेहरे पर सूजन आ जाती है। इसके मरीज
की नाक और गले में कफ जमता रहता है। इस रोग से ग्रसित
व्यक्ति धूल और धुवां बर्दाश्त नहीं कर सकता। साइनस ही आगे
चलकर अस्थमा, दमा जैसी गंभीर बीमारियों में भी बदल सकता है।
इससे गंभीर संक्रमण हो सकता है।
क्या होता है साइनस रोग : साइनस में नाक तो अवरूद्ध
होती ही है, साथ ही नाक में कफ आदि का बहाव अधिक
मात्रा में होता है। भारतीय वैज्ञानिक सुश्रुत एवं चरक के अनुसार
चिकित्सा न करने से सभी तरह के साइनस रोग आगे जाकर 'दुष्ट
प्रतिश्याय' में बदल जाते हैं और इससे अन्य रोग भी जन्म ले लेते हैं।
जिस तरह मॉर्डन मेडिकल साइंस ने साइनुसाइटिस को क्रोनिक
और एक्यूट दो तरह का माना है। आयुर्वेद में भी प्रतिश्याय को नव
प्रतिश्याय 'एक्यूट साइनुसाइटिस' और पक्व प्रतिश्याय
'क्रोनिक साइनुसाइटिस' के नाम से जाना जाता है।
आम धारणा यह है कि इस रोग में नाक के अंदर की हड्डी का बढ़
जाती है या तिरछा हो जाती है जिसके कारण श्वास लेने में
रुकावट आती है। ऐसे मरीज को जब भी ठंडी हवा या धूल, धुवां उस
हड्डी पर टकराता है तो व्यक्ति परेशान हो जाता है।
चिकित्सकों अनुसार साइनस मानव शरीर की खोपड़ी में
हवा भरी हुई कैविटी होती हैं जो हमारे सिर को हल्कापन व
श्वास वाली हवा लाने में मदद करती है। श्वास लेने में अंदर आने
वाली हवा इस थैली से होकर फेफड़ों तक जाती है। इस थैली में
हवा के साथ आई गंदगी यानी धूल और दूसरे तरह
की गंदगियों को रोकती है और बाहर फेंक दी जाती है। साइनस
का मार्ग जब रुक जाता है अर्थात बलगम निकलने का मार्ग
रुकता है तो 'साइनोसाइटिस' नामक बीमारी हो सकती है।
वास्तव में साइनस के संक्रमण होने पर साइनस की झिल्ली में सूजन
आ जाती है। सूजन के कारण हवा की जगह साइनस में मवाद
या बलगम आदि भर जाता है, जिससे साइनस बंद हो जाते हैं। इस
वजह से माथे पर, गालों व ऊपर के जबाड़े में दर्द होने लगता है।
इसका उपाय : इस रोग में सर्दी बनी रहती है और कुछ लोग इसे
सामान्य सर्दी समझ कर इसका इलाज नहीं करवाते हैं।
सर्दी तो सामान्यतः तीन-चार दिनों में ठीक हो जाती है,
लेकिन इसके बाद भी इसका संक्रमण जारी रहता है। अगर वक्त रहते
इसका इलाज न कराया जाए तो ऑपरेशन
कराना जरूरी हो जाता है। लेकिन इसकी रोकथाम के लिए योग
में क्रिया और प्राणायाम को सबसे कारगर माना गया है।
नियमित क्रिया और प्राणायाम से बहुत से रोगियों को 99
प्रतिशत लाभ मिला है।
इस रोग में बहुत से लोग स्टीम या सिकाई का प्रयोग करते हैं और
कुछ लोग प्रतिदिन विशेष प्राकृतिक चिकित्सा अनुसरा नाक
की सफाई करते हैं। योग से यह दोनों की कार्य संपन्न होते हैं।
प्राणायाम जहां स्टीम का कार्य करता है वही जलनेती और
सूत्रनेती से नाक की सफाई हो जाती है। प्रतिदिन अनुलोम
विलोम के बाद पांच मिनट का ध्यान करें। जब तक यह करते रहेंगे
साइनस से आप कभी भी परेशान नहीं होंगे।
शुद्ध भोजन से ज्यादा जरूरी है शुद्ध जल और सबसे ज्यादा जरूरी है
शुद्ध वायु। साइनस एक गंभीर रोग है। यह नाक का इंफेक्शन है। इससे
जहां नाक प्रभावित होती है वहीं, फेंफड़े, आंख, कान और
मस्तिष्क भी प्रभावित होता है इस इंफेक्शन के फैलने से उक्त
सभी अंग कमजोर होते जाते हैं।
योग पैकेज : अत: शुद्ध वायु के लिए सभी तरह के उपाय जरूर करें और
फिर क्रियाओं में सूत्रनेती और जल नेती, प्राणायाम में अनुलोम-
विलोम और भ्रामरी, आसनों में सिंहासन और ब्रह्ममुद्रा करें।
असके अलावा मुंह और नाक के लिए बनाए गए अंगसंचालन जरूर करें।
कुछ योग हस्त मुद्राएं भी इस रोग में लाभदायक सिद्ध
हो सकती है। मूलत: क्रिया, प्राणायाम और ब्रह्ममुद्रा नियमित
करें।

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