स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है, जो ए टाइप के
इनफ्लुएंजा वायरस से होती है। यह वायरस एच1 एन1 के नाम से
जाना जाता है और मौसमी फ्लू में भी यह वायरस सक्रिय
होता है। 2009 में जो स्वाइन फ्लू हुआ था, उसके मुकाबले इस बार
का स्वाइन फ्लू कम पावरफुल है, हालांकि उसके वायरस ने इस बार
स्ट्रेन बदल लिया है यानी पिछली बार के वायरस से इस बार
का वायरस अलग है।
कैसे फैलता है
जब आप खांसते या छींकते हैं तो हवा में या जमीन पर या जिस
भी सतह पर थूक या मुंह और नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं, वह
वायरस की चपेट में आ जाता है। यह कण हवा के
द्वारा या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के
जरिए प्रवेश कर जाते हैं। मसलन, दरवाजे, फोन, कीबोर्ड
या रिमोट कंट्रोल के जरिए भी यह वायरस फैल सकते हैं, अगर इन
चीजों का इस्तेमाल किसी संक्रमित व्यक्ति ने किया हो।
शुरुआती लक्षण
- नाक का लगातार बहना, छींक आना, नाक जाम होना।
- मांसपेशियां में दर्द या अकड़न महसूस करना।
- सिर में भयानक दर्द।
- कफ और कोल्ड, लगातार खांसी आना।
- उनींदे रहना, बहुत ज्यादा थकान महसूस होना।
- बुखार होना, दवा खाने के बाद भी बुखार का लगातार बढ़ना।
- गले में खराश होना और इसका लगातार बढ़ते जाना।
अकसर पूछे जाने वाले सवाल
- अगर किसी को स्वाइन फ्लू है और मैं उसके संपर्क में आया हूं,
तो क्या करूं?
सामान्य जिंदगी जीते रहें, जब तक फ्लू के लक्षण नजर नहीं आने
लगते। अगर मरीज के संपर्क में आने के 7 दिनों के अंदर आपमें लक्षण
दिखते हैं, तो डॉक्टर से सलाह करें।
- अगर साथ में रहने वाले किसी शख्स को स्वाइन फ्लू है,
तो क्या मुझे ऑफिस जाना चाहिए?
हां, आप ऑफिस जा सकते हैं, मगर आपमें फ्लू का कोई लक्षण
दिखता है, तो फौरन डॉक्टर को दिखाएं और मास्क
का इस्तेमाल करें।
- स्वाइन फ्लू होने के कितने दिनों बाद मैं ऑफिस या स्कूल
जा सकता हूं?
अस्पताल वयस्कों को स्वाइन फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखने पर
सामान्यत: 5 दिनों तक ऑब्जर्वेशन में रखते हैं। बच्चों के मामले में 7
से 10 दिनों तक इंतजार करने को कहा जाता है। सामान्य
परिस्थितियों में व्यक्ति को 7 से 10 दिन तक रेस्ट
करना चाहिए, ताकि ठीक से रिकवरी हो सके। जब तक फ्लू के
सारे लक्षण खत्म न हो जाएं, वर्कप्लेस से दूर रहना ही बेहतर है।
- क्या किसी को दो बार स्वाइन फ्लू हो सकता है?
जब भी शरीर में किसी वायरस की वजह से कोई
बीमारी होती है, शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र उस वायरस के
खिलाफ एक प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेता है। जब तक
स्वाइन फ्लू के वायरस में कोई ऐसा बदलाव नहीं आता,
जो अभी तक नहीं देखा गया, किसी को दो बार स्वाइन फ्लू
होने की आशंका नहीं रहती। लेकिन इस वक्त फैले वायरस
का स्ट्रेन बदला हुआ है, जिसे हो सकता है शरीर का प्रतिरोधक
तंत्र इसे न पहचानें। ऐसे में दोबारा बीमारी होने
की आशंका हो सकती है।
# आयुर्वेद
ऐसे करें बचाव
इनमें से एक समय में एक ही उपाय आजमाएं।
- 4-5 तुलसी के पत्ते, 5 ग्राम अदरक, चुटकी भर काली मिर्च
पाउडर और इतनी ही हल्दी को एक कप पानी या चाय में
उबालकर दिन में दो-तीन बार पिएं।
- गिलोय (अमृता) बेल की डंडी को पानी में उबाल या छानकर
पिएं।
- गिलोय सत्व दो रत्ती यानी चौथाई ग्राम पौना गिलास
पानी के साथ लें।
- 5-6 पत्ते तुलसी और काली मिर्च के 2-3 दाने पीसकर चाय में
डालकर दिन में दो-तीन बार पिएं।
- आधा चम्मच हल्दी पौना गिलास दूध में उबालकर पिएं।
आधा चम्मच हल्दी गरम पानी या शहद में मिलाकर
भी लिया जा सकता है।
- आधा चम्मच आंवला पाउडर को आधा कप पानी में मिलाकर
दिन में दो बार पिएं। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
शनिवार, 21 फ़रवरी 2015
स्वाइन फ्लू: बचाव और इलाज क्या है स्वाइन फ्लू
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