शुक्रवार, 27 फ़रवरी 2015

90 प्रतिशत रोग केवल पेट से होते हैं.....!

* पेट में कब्ज नहीं रहना चाहिए।
अन्यथा रोगों की कभी कमी नहीं रहेंगे ।
* 103 रोग भोजन के बाद जल पीने से होते हैं। भोजन के 1
घंटे बाद ही जल पीना चाहिये।
* 80 रोग चाय पीने से होते हैं ।
* ठंडेजल (फ्रिज)और आइसक्रीम से बड़ीआंत सिकुड़
जाती है।
* भोजन के पश्चात् स्नान करने से पाचनशक्ति मन्द
हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है।
* शैम्पू, कंडीशनर और विभिन्न प्रकार के तेलों से बाल
पकने, झड़ने और दोमुहें होने लगते हैं।
* गर्म जल से स्नान से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कम
हो जाती है और
शरीर कमजोर हो जाता है। गर्म जल सिर पर डालने से
आँखें कमजोर हो जाती हैं।
* खड़े होकर जल पीने से घुटनों(जोड़ों) में
पीड़ा होती है।
* खड़े होकर मूत्रत्याग करने से रीढ़
की हड्डी को हानि होती है।
* भोजन पकाने के बाद उसमें नमक डालने से रक्तचाप
(ब्लडप्रेशर) बढ़ता है।
* जोर लगाकर छींकने से कानों को क्षति पहुँचती है।
* मुँह से साँस लेने पर आयु कम होती है।
* पुस्तक पर अधिक झुकने से फेफड़े खराब हो जाते हैं और
क्षय(टीबी) होने का डर रहता है।
* चैत्र माह में नीम के पत्ते खाने से रक्त शुद्ध
हो जाता है मलेरिया नहीं होता है।
* तुलसी के सेवन से मलेरिया नहीं होता है।
* हृदयरोगी के लिए अर्जुनकी छाल, लौकी का रस, तुलसी,
पुदीना, मौसमी, सेंधा नमक, गुड़, चोकरयुक्त आटा,
छिलकेयुक्त अनाज औशधियां हैं।
* भोजन के पश्चात् गुड़ या सौंफ खाने से पाचन
अच्छा होता है। अपच नहीं होता है।
* मुलहठी चूसने से कफ बाहर आता है और आवाज मधुर
होती है।
* जल सदैव ताजा(चापाकल, कुएं आदि का) पीना चाहिये,
बोतलबंद (फ्रिज) पानी बासी और अनेक रोगों के कारण
होते हैं।
* नीबू गंदे पानी के रोग (यकृत, टाइफाइड, दस्त, पेट के
रोग) तथा हैजा से बचाता है।
* फल, मीठा और घी या तेल से बने पदार्थ खाकर तुरन्त जल
नहीं पीना चाहिए।
* भोजन पकने के 48 मिनट के अन्दर खा लेना चाहिए। उसके
पश्चात् उसकी पोशकता कम होने लगती है। 12 घण्टे के
बाद पशुओं के खाने लायक भी नहीं रहता है।।
* मिट्टी के बर्तन में भोजन पकाने से पोशकता 100%
कांसे के बर्तन में 97% पीतल के बर्तन में 93%
अल्युमिनियम के बर्तन और प्रेशर कुकर में 7-13%
ही बचते हैं।
* गेहूँ का आटा 15 दिनों पुराना और चना, ज्वार, बाजरा,
मक्का का आटा 7 दिनों से अधिक पुराना नहीं प्रयोग
करना चाहिए।
* खाने के लिए सेंधा नमक सर्वश्रेश्ठ होता है उसके
बाद काला नमक का स्थान आता है। सफेद नमक जहर के
समान होता है।
* सरसों, तिल,मूंगफली या नारियल का तेल
ही खाना चाहिए। देशी घी ही खाना चाहिए । रिफाइंड
तेल और वनस्पति घी (डालडा) जहर होता है।
* पैर के अंगूठे के नाखूनों को सरसों तेल से भिगोने
से आँखों की खुजली लाली और जलन ठीक हो जाती है।
* खाने का चूना 70 रोगों को ठीक करता है।
* चोट, सूजन, दर्द, घाव, फोड़ा होने पर उस पर 5-20 मिनट तक
चुम्बक रखने से जल्दी ठीक होता है।
* मीठे में मिश्री, गुड़, शहद, देशी(कच्ची)
चीनी का प्रयोग करना चाहिए सफेद चीनी जहर होता है।
* बर्तन मिटटी के ही परयोग करन चाहिए।
* टूथपेस्ट और ब्रश के स्थान पर दातून और मंजन
करना चाहिए दाँत मजबूत रहेंगे।
(आँखों के रोग में दातून नहीं करना)

कोई टिप्पणी नहीं: