शनिवार, 28 मार्च 2015

केवडा जल -


- भाप आसवन विधि से तैयार किया गया केवड़े का अर्क उत्तरी
भारत विशेषत: राजस्थान में कई व्यंजनों में उपयोग में लाया
जाता है। जैसे रसगुल्ला, गुलाब, जामुन, रबड़ी, रस-मलाई,
श्रीखंड .अत्यंत सुगंधित व्यंजन जैसे मुगलाई व्यंजनों में भी इसका
उपयोग किया जाता है। इससे थोड़े में ही संतुष्टि का आभास
होता है.
- केवड़े के पानी में सफ़ेद चन्दन मिला कर सूंघने से गर्मी से होने
वाला सिर दर्द ठीक होता है.
- खाज खुजली और त्वचा रोगों में लगाने से लाभ होता है.
- केवड़ा तेल का उपयोग औषधि के रूप में गठियावत में किया
जाता है।
-केवड़े जल का प्रयोग केशों के दुर्गंध दूर करने के लिए किया
जाता है।
- केवडा जल से गणेशजी का अभिषेक किया जाता है.
- गुलाब जल की तरह केवडा जल भी त्वचा को टोन करता है.
- यह त्वचा की गहराई से सफाई करता है.
- त्वचा के छिद्रों को बंद करता है.
- इसके एंटी ऑक्सीडेंट कैंसर , बुढापे आदि से लड़ने में मदद करते है.
- इसकी मनमोहक सुगंध मन को शान्ति देती है.

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