परिचय:-
इस रोग के होने के कारण रोगी व्यक्ति की याददाश्त बहुत
कमजोर हो जाती है। वह किसी भी चीजों को पहचान नहीं
पाता है अगर पहचानता भी है तो कुछ समय सोचने के बाद।
याददाश्त कमजोर होने का लक्षण :-
जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उसके सिर में
हल्का दर्द रहता है, शोर बर्दाश्त नहीं होता है, एकाग्रता नहीं
रख पाता है तथा वह किसी भी बात तथा किसी भी चीजों
को याद नहीं रख पाता है।
याददास्त कमजोर होने का कारण :-
यह रोग दिमाग (मस्तिष्क) में रक्तसंचार की कमी हो जाने के
कारण होता है।
बहुत अधिक समस्याओं में उलझे रहने के कारण भी यह रोग हो
सकता है।
सिर पर किसी दुर्घटना के कारण तेज चोट लगने तथा किसी
दिमागी बीमारी के कारण भी यह रोग हो सकता है।
अत्यधिक मानसिक बीमारी होने के कारण भी यह रोग हो
सकता है।
याददाश्त कमजोर होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:-
इस रोग से पीड़ित रोगी को कॉफी, चाय, मैदा, कोला, शराब
तथा मैदा और मैदा से बनी चीजों का सेवन बंद कर देना चाहिए।
इस रोग से पीड़ित रोगी को संतुलित आहार जिसमें ताजी
सब्जियां, फल, अंकुरित अन्न आदि हो उसका सेवन करना
चाहिए जिसके फलस्वरूप कुछ ही दिनों में यह रोग ठीक हो
जाता है।
प्रतिदिन गाय के दूध में तिल को डालकर पीने से कुछ ही दिनों
में यह रोग ठीक हो जाता है।
अंगूर तथा सेब का अधिक सेवन करने से रोगी को बहुत लाभ
मिलता है।
पांच-छ: अखरोट तथा दो अंजीर प्रतिदिन खाने से याददाश्त
से सम्बन्धित रोग दूर हो सकते हैं।
रात के समय में बादाम या मुनक्का को भिगोकर सुबह के समय में
चबाकर खाने से यह रोग ठीक हो जाता है।
बादाम, तुलसी तथा काली मिर्च को पीसकर तथा इन्हें आपस
में मिलाकर फिर इसमें शहद मिलाकर प्रतिदिन खाने से यह रोग
ठीक हो जाता है।
तुलसी का रस शहद के साथ प्रतिदिन सेवन करने से याददाश्त
मजबूत होती है।
बादाम का तेल नाक में प्रतिदिन डालने से याददाश्त मजबूत
होती है।
इस रोग को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन
जलनेति क्रिया करनी चाहिए तथा इसके बाद टबस्नान,
कटिस्नान करना चाहिए तथा इसके बाद मेहनस्नान करने से यह
रोग ठीक हो जाता है।
इस रोग को ठीक करने के लिए कई प्रकार की यौगिक क्रियाएं
तथा योगासन हैं जिसे प्रतिदिन करने से यह रोग जल्दी ही ठीक
हो जाता है। ये आसन तथा यौगिक क्रियाएं इस प्रकार हैं-
भस्त्रिका प्राणायाम, नाड़ीशोधन, पश्चिमोत्तानासन,
वज्रासन, शवासन, योगनिद्रा, ध्यान का अभ्यास तथा
ज्ञानमुद्रा करने से यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
मंगलवार, 31 मार्च 2015
याददाश्त कमजोर होना (Memory weakness)
सिर्फ मरीजों की सब्जी नहीं है परवल
सिर्फ मरीजों की सब्जी नहीं है परवल
परवल दो तरह के होते हैं -एक कडुवा और दूसरा मीठा
बाज़ार में केवल मीठे परवल ही आते हैं जिनकी हम सब्जी खाते
हैं. इसकी लताएँ होती हैं ,जो घरों में गमले में लगाई जा सकती हैं.
एक बार लगाने पर एक से ज्यादा फसल इनसे मिलती है.
परवल बनाने के तो हजार तरीके प्रचलित हैं ,पर आइये आज देखते हैं
कि इनका औषधीय उपयोग क्या है?
***सबसे पहले यह देखिये कि परवल में खून शुद्ध करने का बहुत
महत्वपूर्ण गुण पाया जाता है. अगर शरीर में फोड़े -फुंसियां
ज्यादा मात्रा में निकाल रही हैं तो बस परवल की कम
मसालेदार सब्जी खाना शुरू कर दीजिये २१ दिनों में ही खून
की सारी अशुद्धता दूर हो जायेगी और फोड़े फुंसियां निकलना
बंद हो जायेंगी
***अगर कहीं आपको कडुवा परवल मिल जाए तो वो आपके
गंजेपन को चुटकी बजाते ही दूर कर देगा. कडुवे परवल का रस
निकालिए और उसे गंजे सर पर सिर्फ सात दिनों तक लेप कीजिए
और रात भर छोड़ दीजिये , नए बाल उग आयेंगे
*** परवल के पत्तों का रस भी गंजेपन को दूर कर देता है ,२१ दिन
लगाना पडेगा
*** चेचक निकली हो तो परवल की जड़ का काढा बस दो बार
आधा आधा कप पिला दीजिये
*** अगर सर में दर्द हो तो परवल की जड़ को घिस कर मलहम बना
लीजिये और उसे माथे पर लेप दीजिये, फ़ौरन आराम मिलेगा
*** हैजा हो गया हो तो परवल और इसके पत्ते की ही सब्जी
बार बार खिलाये ,बेहद आराम महसूस होगा .
*** अपच की शिकायत हो या पेट कमजोर हो तो परवल और
इसके पत्तों का काढा बनाइये और मिश्री या शक्कर मिला कर
आधा आधा कप सुबह शाम ३ दिनों तक पिला दीजिये
देखा आपने परवल कितना गुणकारी होता है ,भला डाक्टर्स इसे
खाने की राय न दें तो क्या करें ,इसकी उपेक्षा बहुत मुश्किल है.
मुझे उम्मीद है कि आप लोग खोज-खाज कर दोनों तरह के परवल
अपने गमलों में लगा लेंगे क्योंकि बाजार में तो सिर्फ परवल
मिलता है ,इसके पत्ते और जड़ तो मिलते नहीं .
सिर्फ मरीजों की सब्जी नहीं है परवल..
सफेद दाग (Leucoderma)
परिचय:-
देखा जाए तो सफेद दाग अपने आप में कोई रोग नहीं है बल्कि
त्वचा में मलानीन द्रव्य की कमी हो जाने से त्वचा का रंग
सफेद हो जाता है। सफेद दाग रोगी व्यक्ति के सम्पर्क से नहीं
फैलता है। इस रोग में कोई शारीरिक परेशानी, जलन या खुजली
नहीं हाती है सिर्फ चेहरे पर दाग ही रहते हैं। चेहरे पर सफेद दाग के
कारण व्यक्ति में मानसिक तनाव हो जाता है तथा हीनता
की भावना पैदा हो जाती है।
सफेद दाग कोई असाध्य रोग नहीं है इसलिए इस रोग के होने पर
किसी भी प्रकार की हीनभावना से ग्रस्त या निराश नहीं
होना चाहिए बल्कि दाग होने पर बड़ी आसानी से कम समय में
इसका उपचार किया जा सकता है और उसको बढ़ने से रोका जा
सकता है अन्यथा इसको ठीक करने में कुछ महीने से लेकर कुछ
वर्षों तक का समय लग जाता है।
सफेद दाग होने का लक्षण-
इस रोग के कारण शरीर के किसी भी भाग में त्वचा पर छोटा
सा दाग पीले रंग से शुरू होकर सफेद रंग का दाग बन जाता है। यह
दाग जगह-जगह फैलते हुए बड़े-बड़े चकतों के रूप में भी हो सकता है।
सफेद दाग होने का कारण-
दूषित भोजन सेवन करने के कारण व्यक्ति के शरीर में दूषित द्रव्य
जमा हो जाता है तब यह सफेद दाग का रोग व्यक्ति को हो
जाता है।
आंतों में कीड़े लगने के कारण भी सफेद दाग का रोग हो सकता
है।
सफेद दाग कई प्रकार के रोग होने के कारण भी हो सकता है
जैसे- पेचिश, कब्ज, चर्मरोग, टायफाइड, तपेदिक (टी.बी.),
एक्जिमा, दमा, मधुमेह, फोड़े, चोट, जलना तथा लीवर (जिगर)
संबन्धी रोग आदि।
मल-मूत्र के वेग को रोकने के कारण भी त्वचा पर सफेद दाग हो
जाते हैं।
शरीर में हार्मोन्स की गड़बड़ी तथा मानसिक आघात होने के
कारण भी यह रोग हो सकता है।
अधिक नमक, मिर्च मसाले वाली चीजों के खाने से यह रोग हो
सकता है।
घटिया किस्म की बिंदी लगाने तथा ब्लीचिंग का अधिक
प्रयोग करने के कारण भी सफेद दाग का रोग हो सकता है।
शक्तिशाली एन्टीबायोटिक तथा तेज औषधियों का सेवन
करने के कारण भी सफेद दाग का रोग हो सकता है।
अधिक नशीली चीजों का सेवन करने के कारण भी यह रोग हो
सकता है।
सफेद दाग को ठीक करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा से
उपचार:-
सफेद दाग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को
कुछ दिनों तक फलों तथा सब्जियों का रस पीना चाहिए तथा
फिर बिना पके हुए भोजन का सेवन करना चाहिए। हरी
सब्जियां तथा अंकुरित अन्न का सेवन बहुत लाभदायक होता है।
सफेद दाग से पीड़ित रोगी को हर 2 सप्ताह के बाद एक दिन
उपवास रखना चाहिए।
चुकन्दर, भिगोए हुए अंकुरित काले चने, अंजीर, खजूर, तुलसी के
पत्ते, त्रिफला और थोड़ी सी हल्दी मिलाकर तथा नीम की
पत्तियों का सेवन करने से यह रोग ठीक हो जाता है।
रात को सोते समय तांबे के बर्तन में पानी को भरकर रख दें और
सुबह के समय में इस पानी को पीने से बहुत अधिक लाभ मिलता
है।
सफेद दाग से पीड़ित रोगी को कॉफी, चाय, चीनी, नमक,
मिर्च-मसालेदार, डिब्बा बंद भोजन, नशीली वस्तुएं, मांस तथा
अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए।
इस रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को
अपने पाचन संस्थान की सफाई करनी चाहिए ताकि
पाचनक्रिया ठीक प्रकार से हो सके। रोगी को अपने पेट की
सफाई करने के लिए एनिमा क्रिया करना चाहिए। फिर रोगी
को अपने पेट पर मिट्टी की पट्टी का लेप करना चाहिए तथा
इसके बाद कटिस्नान, कुंजल क्रिया करनी चाहिए।
1 छोटे चम्मच बावची के चूर्ण को सुबह तथा शाम पानी के साथ
सेवन करने से सफेद दाग के रोग में बहुत अधिक लाभ मिलता है।
सफेद दाग के रोग में सूर्यतप्त आसमानी तेल की मालिश तथा
सूर्यतप्त पीले पानी का सेवन करना भी लाभदायक होता है।
सफेद दागों पर तुलसी का रस मलने से कुछ ही दिनों में सफेद दाग
खत्म हो जाते हैं।
एक कांच की बोतल में अपने पेशाब को भरकर एक सप्ताह के लिए
रख दें। इसके बाद धूप में बैठकर इस पेशाब से अपने शरीर की मालिश
करने से सफेद दाग कुछ महीने में ही ठीक हो जाते हैं।
जानकारी-
इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा के द्वारा सफेद दाग का
उपचार करने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
शनिवार, 28 मार्च 2015
पुदीना खाने के लाभ....
पुदीने का नाम सुनते ही पुदीने की खुशबू का एहसास होने
लगता हैं । पुदीने की चटनी बनाकर खाने से न सिर्फ भोजन का
स्वाद बढ़िया बन जाता हैं ब्लकि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी
इसका सेवन करना लाभदायक साबित होता हैं । पुदीना न केवल
हमारे शरीर को निरोग रखता है ब्लकि हमारे चेहरे की खूबसूरती
को भी बढ़ाने में मदद करता है । घर में कहीं भी इसका पौधा
किसी भी गमले या जमीन पर लगाया जा सकता हैं । पुदीने की
पत्तियों में विटामिन बी ,सी, डी, ई, कैल्शियम, फॉस्फोरस
प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं । पुदीने का रस निकालकर या
पुदीने की चटनी बनाकर इसका सेवन करना फायदेमंद साबित
होता हैं । पुदीना खाने के लाभ इस प्रकार हैं ।
- तनाव को करें दूर : पुदीने से आने वाली तेज खुशबू और इसमें
मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स हमें तनाव से छुटकारा दिलवाने में मदद
करते हैं ।
- कैंसर से राहत : पुदीने में कुछ ऐसे एंजाइम होते हैं , जो कैंसर जैसी
भंयकर बीमारी से बचाने में मदद करते हैं ।
- पाचन क्रिया रखता हैं दुरुस्त : पुदीने के रस का सेवन करने से पेट
दर्द से छुटकारा मिलता है और भारीपन जैसे पेट में बनी
एसीडिटी से भी तुरंत राहत मिलती है और पाचन क्रिया को
दुरुस्त रखने में मदद करता हैं ।
- गले के लिए लाभदायक : पुदीने का सेवन करने से गले में हो रही
खराश और खांसी से भी राहत मिलती है ।
- अच्छा माउथफ्रेशनर : पुदीने की ताजा पत्तियों को
उबालकर उस पानी से गरारे करने से गला भी ठीक रहता है और
मुंह की दुर्गंध से भी छुटकारा पाया जा सकता है ।
- हिचकी : हिचकी आने पर पुदीने का सेवन करना लाभकारी
होता है ।
- गर्मी में लू लगने पर : पुदीने का सेवन करने से गर्मी में लू से भी
राहत मिलती है ।
- घाव होने पर : अगर शरीर पर कोई घाव हो जाएं तो पुदीने का
पेस्ट बनाकर उस घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है ।
- त्वचा के लिए फायदेमंद : पुदीने को पीसकर उस लेप को चेहरे पर
लगाने से चेहरे की झाइयां और दाग-धब्बे कम हो जाते है ।
- अस्थमा रोगियों के लिए : पुदीने का सेवन करने से हमें कई
रोगों से छुटकारा मिलता है ,पुदीने का सेवन अस्थमा जैसे रोग
के लिए भी लाभकारी है ।
- बुखार और उल्टी होने पर : बुखार होने पर पुदीने का रस
निकालकर या पुदीने की पत्तियों को पानी में उबालकर
थोड़ी चीनी मिलाकर इसका सेवन करने से बुखार से राहत पाई
जा सकती हैं और उल्टी होने पर भी पुदीने का रस निकालकर
पीने से उल्टी आना बंद हो जाता हैं।
केवडा जल -
- भाप आसवन विधि से तैयार किया गया केवड़े का अर्क उत्तरी
भारत विशेषत: राजस्थान में कई व्यंजनों में उपयोग में लाया
जाता है। जैसे रसगुल्ला, गुलाब, जामुन, रबड़ी, रस-मलाई,
श्रीखंड .अत्यंत सुगंधित व्यंजन जैसे मुगलाई व्यंजनों में भी इसका
उपयोग किया जाता है। इससे थोड़े में ही संतुष्टि का आभास
होता है.
- केवड़े के पानी में सफ़ेद चन्दन मिला कर सूंघने से गर्मी से होने
वाला सिर दर्द ठीक होता है.
- खाज खुजली और त्वचा रोगों में लगाने से लाभ होता है.
- केवड़ा तेल का उपयोग औषधि के रूप में गठियावत में किया
जाता है।
-केवड़े जल का प्रयोग केशों के दुर्गंध दूर करने के लिए किया
जाता है।
- केवडा जल से गणेशजी का अभिषेक किया जाता है.
- गुलाब जल की तरह केवडा जल भी त्वचा को टोन करता है.
- यह त्वचा की गहराई से सफाई करता है.
- त्वचा के छिद्रों को बंद करता है.
- इसके एंटी ऑक्सीडेंट कैंसर , बुढापे आदि से लड़ने में मदद करते है.
- इसकी मनमोहक सुगंध मन को शान्ति देती है.
गुरुवार, 26 मार्च 2015
चुकंदर
चुकंदर का जूस बहुत फायदेमंद है. इसको पीने से शरीर में एनर्जी
बढ़ती है और थकान दूर होती है.
साथ ही अगर हाई बीपी हो गया हो तो इसे पीने से केवल 1 घंटे
में शरीर नार्मल हो जाता है.
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एनर्जी बढ़ाये : यदि आपको आलस महसूस हो रही हो या फिर
थकान लगे तो चुकंदर का
जूस पी लीजिये. इसमें कार्बोहाइड्रेट होता है जो शरीर यह
पानी फोड़े, जलन और मुहांसों
के लिए काफी उपयोगी होता है.
खसरा और बुखार में भी त्वचा को साफ करने में इसका उपयोग
किया जा सकता है.
पौष्टिकता से भरपूर : यह प्राकृतिक शर्करा का स्रोत होता है.
इसमें कैल्शियम, मिनरल,
मैग्नीशियम, आयरन, सोडियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस,
क्लोरीन, आयोडीन, और
अन्य महत्वपूर्ण विटामिन पाये जाते हैं.
इसलिए घर पर इसकी सब्जी बना कर अपने बच्चों को जरूर से
खिलाएं.हृदय के लिए :
चुकंदर का रस हाइपरटेंशन और हृदय संबंधी समस्याओं को दूर रखता
है.
खासकर के चुंकदर के रस का सेवन करने से व्यक्ति में रक्त संचार
काफी बढ़ जाता है.
रक्त की धमनियों में जमी हुई चर्बी को भी इसमें मौजूद बेटेन
नामक तत्व जमने से रोकता है. स्वास्थ्यवर्धक पेय : जो लोग
जिम में जी तोड़ कर वर्कआउट करते हैं
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चुकंदर एक ऐसी सब्जी है जिसे बहुत से लोग नापसंद करते हैं.
इसके रस को पीने से न केवल शरीर में रक्त में हीमोग्लोबिन की
मात्रा बढ़ती है,
बल्कि कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं.
यदि आप इस सब्जी से नफरत करते हैं तो जरा एक बार इसके
फायदों के बारे में जरूर पढ़ लें.
शायद कम लोग ही जानते हैं कि चुकंदर में लौह तत्व की मात्रा
अधिक नहीं होती है,
किंतु इससे प्राप्त होने वाला लौह तत्व उच्च गुणवत्ता का
होता है,
जो रक्त निर्माण के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि
चुकंदर का सेवन शरीर से अनेक हानिकारक पदार्थों को बाहर
निकालने में बेहद लाभदायी है। ऐसा समझा जाता है कि चुकंदर
का गहरा लाल रंग इसमें लौह तत्व की प्रचुरता के कारण है,
बल्कि सच यह है कि चुकंदर का गहरा लाल रंग इसमें पाए जाने
वाले एक रंगकण (बीटा सायनिन) के कारण होता है। एंटी
ऑक्सीडेंट गुणों के कारण ये रंगकण स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने
जाते हैं।
घिया (लौकी)
घिया (लौकी) की सब्जी में हैं अनेक रोग मिटने की क्षमता :
दोस्तो अमेरिका की बड़ी बड़ी कंपनिया जो दवाइया भारत
मे बेच रही है ! वो अमेरिका मे 20 -20 साल से बंद है ! आपको जो
अमेरिका की सबसे खतरनाक दवा दी जा रही है ! वो आज कल
दिल के रोगी (heart patient) को सबसे दी जा रही है !! भगवान
न करे कि आपको कभी जिंदगी मे heart attack आए !लेकिन अगर
आ गया तो आप जाएँगे डाक्टर के पास ! और आपको मालूम ही है
एक angioplasty आपरेशन आपका होता है ! angioplasty आपरेशन
मे डाक्टर दिल की नली मे एक spring डालते हैं ! उसको stent
कहते हैं ! और ये stent अमेरिका से आता है और इसका cost of
production सिर्फ 3 डालर का है ! और यहाँ लाकर वो 3 से 5
लाख रुपए मे बेचते है और ऐसे लूटते हैं आपको ! और एक बार attack मे
एक stent डालेंगे ! दूसरी बार दूसरा डालेंगे ! डाक्टर को
commission है इसलिए वे बार बार कहता हैं angioplasty
करवाओ angioplasty करवाओ !! इस लिए कभी मत करवाए ! तो
फिर आप बोलेंगे हम क्या करे ????! आप इसका आयुर्वेदिक इलाज
करे बहुत बहुत ही सरल है ! पहले आप एक बात जान ली जिये !
angioplasty आपरेशन कभी किसी का सफल नहीं होता !!
क्यूंकि डाक्टर जो spring दिल की नली मे डालता है !! वो
spring बिलकुल pen के spring की तरह होता है ! और कुछ दिन
बाद उस spring की दोनों side आगे और पीछे फिर blockage
जमा होनी शुरू हो जाएगी ! और फिर दूसरा attack आता है !
और डाक्टर आपको फिर कहता है ! angioplasty आपरेशन
करवाओ ! और इस तरह आपके लाखो रूपये लूटता है और आपकी
ज़िंदगी इसी मे निकाल जाती है ! ! ! अब पढ़िये इसका
आयुर्वेदिक इलाज !! ______________________ हमारे देश भारत मे
3000 साल एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे उनका नाम था महाऋषि
वागवट जी !! उन्होने एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम है
अष्टांग हृदयम!! और इस पुस्तक मे उन्होने ने बीमारियो को ठीक
करने के लिए 7000 सूत्र लिखे थे ! ये उनमे से ही एक सूत्र है !!
वागवट जी लिखते है कि कभी भी हरद्य को घात हो रहा है !
मतलब दिल की नलियो मे blockage होना शुरू हो रहा है ! तो
इसका मतलब है कि रकत (blood) मे acidity(अमलता ) बढ़ी हुई है !
अमलता आप समझते है ! जिसको अँग्रेजी मे कहते है acidity !!
अमलता दो तरह की होती है ! एक होती है पेट कि अमलता ! और
एक होती है रक्त (blood) की अमलता !! आपके पेट मे अमलता जब
बढ़ती है ! तो आप कहेंगे पेट मे जलन सी हो रही है !! खट्टी खट्टी
डकार आ रही है ! मुंह से पानी निकाल रहा है ! और अगर ये
अमलता (acidity)और बढ़ जाये ! तो hyperacidity होगी ! और
यही पेट की अमलता बढ़ते-बढ़ते जब रक्त मे आती है तो रक्त
अमलता(blood acidity) होती !! और जब blood मे acidity बढ़ती
है तो ये अमलीय रकत (blood) दिल की नलियो मे से निकल नहीं
पाता ! और नलिया मे blockage कर देता है ! तभी heart attack
होता है !! इसके बिना heart attack नहीं होता !! और ये आयुर्वेद
का सबसे बढ़ा सच है जिसको कोई डाक्टर आपको बताता
नहीं ! क्यूंकि इसका इलाज सबसे सरल है !! इलाज क्या है ??
वागबट जी लिखते है कि जब रकत (blood) मे अमलता (acidty)
बढ़ गई है ! तो आप ऐसी चीजों का उपयोग करो जो छारीय है !
आप जानते है दो तरह की चीजे होती है ! अमलीय और छारीय !!
(acid and alkaline ) अब अमल और छार को मिला दो तो क्या
होता है ! ????? ((acid and alkaline को मिला दो तो क्या
होता है )????? neutral होता है सब जानते है !! _______________
______ तो वागबट जी लिखते है ! कि रक्त कि अमलता बढ़ी हुई
है तो छारीय(alkaline) चीजे खाओ ! तो रकत की अमलता
(acidity) neutral हो जाएगी !!! और रक्त मे अमलता neutral हो
गई ! तो heart attack की जिंदगी मे कभी संभावना ही नहीं !!
ये है सारी कहानी !! अब आप पूछोगे जी ऐसे कौन सी चीजे है
जो छारीय है और हम खाये ????? आपके रसोई घर मे सुबह से शाम
तक ऐसी बहुत सी चीजे है जो छारीय है ! जिनहे आप खाये तो
कभी heart attack न आए ! और अगर आ गया है ! तो दुबारा न
आए !! _________________ सबसे ज्यादा आपके घर मे छारीय चीज
है वह है लोकी !! जिसे दुदी भी कहते है !! english मे इसे कहते है
bottle gourd !!! जिसे आप सब्जी के रूप मे खाते है ! इससे ज्यादा
कोई छारीय चीज ही नहीं है ! तो आप रोज लोकी का रस
निकाल-निकाल कर पियो !! या कच्ची लोकी खायो !!
स्वामी रामदेव जी को आपने कई बार कहते सुना होगा लोकी
का जूस पीयों- लोकी का जूस पीयों ! 3 लाख से ज्यादा
लोगो को उन्होने ठीक कर दिया लोकी का जूस पिला
पिला कर !! और उसमे हजारो डाक्टर है ! जिनको खुद heart
attack होने वाला था !! वो वहाँ जाते है लोकी का रस पी पी
कर आते है !! 3 महीने 4 महीने लोकी का रस पीकर वापिस आते
है आकर फिर clinic पर बैठ जाते है ! वो बताते नहीं हम कहाँ गए
थे ! वो कहते है हम न्योर्क गए थे हम जर्मनी गए थे आपरेशन
करवाने ! वो राम देव जी के यहाँ गए थे ! और 3 महीने लोकी का
रस पीकर आए है ! आकर फिर clinic मे आपरेशन करने लग गए है ! और
वो इतने हरामखोर है आपको नहीं बताते कि आप भी लोकी
का रस पियो !! तो मित्रो जो ये रामदेव जी बताते है वे भी
वागवट जी के आधार पर ही बताते है !! वागवतट जी कहते है रकत
की अमलता कम करने की सबे ज्यादा ताकत लोकी मे ही है !
तो आप लोकी के रस का सेवन करे !! कितना करे ????????? रोज
200 से 300 मिलीग्राम पियो !! कब पिये ?? सुबह खाली पेट
(toilet जाने के बाद ) पी सकते है !! या नाश्ते के आधे घंटे के बाद
पी सकते है !! _______________ इस लोकी के रस को आप और
ज्यादा छारीय बना सकते है ! इसमे 7 से 10 पत्ते के तुलसी के
डाल लो तुलसी बहुत छारीय है !! इसके साथ आप पुदीने से 7 से 10
पत्ते मिला सकते है ! पुदीना बहुत छारीय है ! इसके साथ आप
काला नमक या सेंधा नमक जरूर डाले ! ये भी बहुत छारीय है !!
लेकिन याद रखे नमक काला या सेंधा ही डाले ! वो दूसरा
आयोडीन युक्त नमक कभी न डाले !! ये आओडीन युक्त नमक
अम्लीय है !!!! तो मित्रो आप इस लोकी के जूस का सेवन जरूर
करे !! 2 से 3 महीने आपकी सारी heart की blockage ठीक कर
देगा !! 21 वे दिन ही आपको बहुत ज्यादा असर दिखना शुरू हो
जाएगा !!! _____ कोई आपरेशन की आपको जरूरत नहीं पड़ेगी !! घर
मे ही हमारे भारत के आयुर्वेद से इसका इलाज हो जाएगा !! और
आपका अनमोल शरीर और लाखो रुपए आपरेशन के बच जाएँगे !!
और पैसे बच जाये ! तो किसी गौशाला मे दान कर दे ! डाक्टर
को देने से अच्छा है !किसी गौशाला दान दे !! हमारी गौ
माता बचेगी तो भारत बचेगा !! __________________ आपने पूरी
post पढ़ी आपका बहुत बहुत धन्यवाद !!
कील मुहाँसे और फुंसी के 100% सफल चिकित्सा
गोरखमुंडी (चित्र देखे ) 100 ग्राम ले। ये जड़ी बूटी बेचने वालों से
आसानी से मिल जाती है।
इसे पीस ले। आसानी से पीस जाती है।
1 कप पानी को उबाले। उबलते पानी मे एक चम्मच गोरखमुंडी
का पाउडर डाल दे।
बर्तन को ढक दें। आंच बंद कर दे।
5 मिनट बाद छान कर पी ले। सुबह शाम 2 समय ले। यदि कड़वी
दवा न पी सके तो मीठा मिला ले। यदि कब्ज भी हो तो
आरोग्यवर्धिनी वटी (दिव्य फार्मेसी ) 1/2 ग्राम पानी के
साथ सोते समय ले।
7-8 दिन मे मुहासे गायब हो जाएंगे। दवा 1 महिना ले ।
यदि ये दवा 6 महीने ले तो चश्मा उतर जाएगा। नजर कि
कमजोरी दूर हो जाएगी।
स्थायी लाभ के लिए हर दिन सुबह शीर्षासन करे 1-5 मिनट
तक।
लगाने के लिए Azithromycin Ointment लगाएँ।
कील मुहासों के स्थायी दाग हटाने के लिए कैशोर गुगुल (दिव्य
फार्मेसी ) 2-2 गोली गर्म पानी से ले। 6 महीने मे स्थायी दाग
भी हट जाएंगे।
चीनी +मैदा+चाय+अचार+इमली+ अमचूर न खाएं।
जिसे भी इस चिकित्सा से लाभ हो वह अपना अनुभव जरूर लिखें